दुनियाभर में तेजी से फैल रही इस बीमारी की नहीं है कोई दवा!

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आज का युग भले ही टेक्नोलॉजी और साइंटिस्ट युग कहा जाता है लेकिन, इसके बावजूद दुनिया में ऐसी कई बीमारियां या रोग है जिनका अभी तक इलाज या कोई दवा नहीं है। ऐसी ही एक बीमारी कैंडिडा ऑरिस। तेजी से फैलती इस बीमारी का दुनिया में फिलहाल कोई इलाज नहीं है। कैंडिडा ऑरिस नामक यह रहस्‍यमयी बीमारी खतरनाक फंगस के कारण धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल रही है और इसकी फिलहाल कोई दवा भी उपलब्ध नहीं है। इस कारण पूरी दुनिया के लोग परेशान हैं। आइये जानते हैं इस बीमारी के बारे में..

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10 साल पहले इसके संक्रमण का पता चला

कैंडिडा ऑरिस नामक इस बीमारी का करीब 10 साल पहले 2009 में पता चला था। जापान में एक व्यक्ति में इसका संक्रमण मिला था। मई के महीने में एक बुजुर्ग व्यक्ति को पेट की सर्जरी के लिए न्‍यूयार्क शहर के माउंट सिनाई अस्पताल की ब्रुकलिन शाखा में भर्ती कराया गया था। एक खून जांच से यह पता चल पाया कि वह नए खोजे गए जीवाणु से संक्रमित था क्योंकि यह बड़ा रहस्यमय था। चिकित्सकों ने गहन चिकित्सा इकाई से इसे अलग कर दिखाया। इस जीवाणु को कैंडिडा ऑरिस नामक फंगस का नाम दिया गया।

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वीक इम्‍यून सिस्‍टम को बनाता है अपना शिकार

कैंडिडा ऑरिस वीक इम्‍यून सिस्‍टम यानी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को शिकार बनाता है और यह लगातार चुपचाप पूरी दुनिया भर में फैल रहा है। पिछले पांच वर्षों में इस ख़तरनाक फंगस के कारण वेनेजुएला में एक नवजात इकाई को बंद कर देना पड़ा। इसके अलावा स्पेन में एक अस्पताल को इस जीवाणु ने अपनी चपेट में लिया था। इसके कारण ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित चिकित्सा केन्द्र की आईसीयू यूनिट को बंद करना पड़ा। यहां तक कि अब यह जीवाणु भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भी जड़ें जमाने में लगा हुआ है।

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न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी और इलिनोइस तक पहुंच चुकी बीमारी

कुछ समय पहले कैंडिडा ऑरिस नामक यह बीमारी न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी और इलिनोइस तक पहुंच चुकी है। प्रमुख संघीय केन्द्रों ने रोग से नियंत्रण और रोकथाम के लिए इसे जीवाणुओं के सूची में शामिल कर लिया गया है। साथ ही इसे तुरंत का बड़ा खतरा बताया गया। माउंट सिनाई अस्पताल में भर्ती एक शख्‍स की 90 दिनों बाद मौत हो गई लेकिन कैंडिडा ऑरिस खत्‍म नहीं हुआ। परीक्षण में पता चला कि यह जीवाणु पूरे कमरे में फैल गया था। इस जीवाणु का आक्रमण इतना जबरदस्‍त था कि इसके बाद अस्पताल को विशेष सफाई उपकरण की जरूरत पड़ी। यहां तक कि अस्पताल में जीवाणु को खत्‍म करने के लिए छत और फर्श की कुछ टाइलों को जड़ से उखाड़ना पड़ा था।

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इस अस्‍पताल के अध्‍यक्ष डॉक्टर स्कॉट लोरिन का कहना है कि कैंडिडा ऑरिस के रोगी के कमरे का सब कुछ पॉजिटिव था, जैसे दीवारें, बिस्तर, दरवाजे, पर्दे, फोन, सिंक, व्हाइटबोर्ड, डंडे और पंप। यहां तक गद्दे, बेड रेल, कनस्तर का छेद, खिड़की का छाया, कमरा में सब कुछ पॉजिटिव पाया गया था। डॉ. लोरिन में बताया कि कैंडिडा ऑरिस एक बहुत कठोर फंगल इंफेक्‍शन है क्योंक, यह प्रमुख एंटिफंगल दवाओं के लिए अभी तक अभेद्य है। कैंडिडा ऑरिस हालिया वर्षों में दुनिया के सबसे असाध्‍य स्वास्थ्य खतरों में से एक माना जाता है। ​अभी तक इसकी दवा नहीं खोजे जाने से यह और ख़तरनाक साबित हो रहा है।

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