सऊदी अरब ने कोड़े मारने की सज़ा खत्म करने की घोषणा की, अब ये होगी सज़ा

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सऊदी अरब के अब किसी भी अपराधी को सज़ा के तौर पर कोड़े नहीं मारे जाएंगे। सऊदी अरब के उच्चतम न्यायालय ने देश में कोड़े मारने की सज़ा खत्म करने की घोषणा की है। सऊदी के शाह और युवराज (क्राउन प्रिंस) द्वारा मानवाधिकार की दिशा में उठाया गया यह बड़ा कदम है। बता दें, इस देश की अदालतों द्वारा दी जाने वाले कोड़े मारने की सज़ा का पूरी दुनिया के मानवाधिकार समूह विरोध करते रहे हैं, क्योंकि कई बार अदालतें 100 कोड़े तक मारने की सज़ा सुना देती हैं।

अब बतौर सज़ा जुर्माना, जेल या फिर सामुदायिक सेवा

सऊदी अरब के उच्चतम न्यायालय का कहना है कि इस ताज़ा सुधार का लक्ष्य देश को शारीरिक दंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के मानदंडों के और करीब लाना है। सऊदी में अब तक विवाहेत्तर यौन संबंध, शांति भंग करना और हत्या तक के मामलों में अदालतें आसानी से दोषी को कोड़े मारने की सज़ा सुना सकती थीं। सऊदी सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक बयान में कहा है कि भविष्य में न्यायाधीशों को जुर्माना, जेल या फिर सामुदायिक सेवा जैसी सज़ाएं चुननी होंगी।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सऊदी अरब में कोड़े की सज़ा का आखिरी मामला वर्ष 2015 में सामने आया था। तब यहां एक ब्लॉगर रईफ बदावी को लोगों के सामने कोड़े मारने की सज़ा सुनाई गई थी। बदावी पर अपनी वेबसाइट सऊदी लिबरल नेटवर्क पर इस्लाम धर्म का अपमान करने और साइबर क्राइम के आरोप लगे थे।

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हालिया वर्षों में क्राउन प्रिंस सलमान ने सऊदी अरब में कई उदारवादी नीतियां अपनाई हैं। इसमें सऊदी में महिलाओं को कार ड्राइव करने की अनुमति भी ​शामिल है। साल 2018 में इसे सऊदी का ऐतिहासिक क्षण बताया गया था। बीबीसी की एक रिपोर्ट को मानें तो सऊदी अरब में दुनिया में सबसे अधिक मानवाधिकारों का हनन किया जाता है। एक ओर दुनिया के कई देशों में महिला और पुरुषों को बराबर हक दिया जा रहा, वहीं सऊदी में अभी तक भी कई पुराने कानून आज़ादी से जीने में रूकावट बने हुए हैं।

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