भारत के लिपुलेख दर्रे तक सड़क पर पड़ोसी देश नेपाल ने हाल में आपत्ति जताई थी। जिस पर अब भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि उसने किसी और के कहने पर आपत्ति जताई। उन्होंने परोक्ष रूप से चीन की भूमिका का संकेत देते हुए शुक्रवार को कहा कि यह मानने के कारण हैं कि उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे तक भारत के सड़क बिछाने पर नेपाल किसी और के कहने पर आपत्ति जता रहा है। एक रक्षा थिंक-टैंक के साथ बातचीत में जनरल एमएम नरवणे ने यह भी कहा कि चीनी सेना के साथ हाल की तनातनी पर भारतीय सेना सिलसिलेवार तरीके से निपट रही है।
पड़ोसी देश की प्रतिक्रिया हैरान करने वाली
भारत द्वारा लिपुलेख-धारचुला मार्ग तैयार किए जाने पर नेपाल द्वारा आपत्ति किए जाने के सवाल पर जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि पड़ोसी देश की प्रतिक्रिया हैरान करने वाली थी। सेना प्रमुख ने कहा, ‘काली नदी के पूरब की तरफ का हिस्सा उनका है। हमने जो सड़क बनाई है वह नदी के पश्चिमी तरफ है। इसमें कोई विवाद नहीं था। मुझे नहीं पता कि वे किसी चीज के लिये विरोध कर रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘पूर्व में नेपाल को कभी कोई समस्या नहीं हुई है। यह मानने के लिए काफी है कि उन्होंने किसी दूसरे के कहने पर यह मामला उठाया है।’
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले हफ्ते उत्तराखंड में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर चीन की सीमा से लगी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी मानसरोवर रोड का उद्घाटन किया था। नेपाल ने सड़क के उद्घाटन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ‘एकतरफा कार्रवाई’ सीमा से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच बनी सहमति के खिलाफ है।
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टीओडी से लागत को कम करने में मदद मिलेगी
टीओडी यानी टूर ऑफ ड्यूटी की परिकल्पना के तहत युवाओं को तीन साल के लिए सेना में भर्ती करने के प्रस्ताव के बारे में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि यह विचार स्कूल और कॉलेज के छात्रों से मिले उस फीडबैक के बाद सामने आया कि वे सेना में स्थायी कमीशन लिए बिना ही सेना की जिंदगी का अनुभव करना चाहते हैं। जनरल नरवणे ने कहा कि टीओडी से सेना को अपने पेंशन और अन्य दिए जाने वाले फायदों पर आने वाली लागत को कम करने में मदद मिलेगी। भारत और चीन के सैनिकों के दो मौकों पर आमने-सामने आने के सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि दोनों मामले आपस में जुड़े नहीं हैं।