कोरोना पर कई देश चीन से नाराज, डब्ल्यूएचओ की बैठक से पहले उसके खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी

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दुनिया भर में कोहराम मचा रही खतरनाक कोरोना वायरस महामारी के बीच जल्द ही विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की बैठक होने वाली है। विश्व स्वास्थ्य सभा का सत्र 10 दिन बाद शुरू होने जा रहा है। ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर पारदर्शिता और जांच की आवाजें पहले से ज्यादा तेज हो गई हैं। दरअसल, कोविड-19 की शुरुआत पिछले साल चीन के वुहान शहर से हुई थी। यह चार महीने से ज्यादा समय में करीब पौने तीन लाख लोगों की जान ले चुका है। कई देश चीन पर यह आरोप लगा रहे हैं कि यदि वह दुनिया को वायरस के बारे में पहले ही सचेत कर देता तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता था।

यूरोपीय संघ डब्ल्यूएचओ में एक प्रस्ताव पेश करेगा

कई देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी सवाल पूछे हैं, जिस पर चीन का पक्ष लेने के आरोप लगे हैं। चीन और डब्ल्यूएचओ के निदेशक टेड्रेस अधनोम ग्रेब्रेसियस की सबसे ज्यादा आलोचना अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने की है। पिछले महीने अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए उसकी फंडिंग पर भी रोक लगा दी थी।

हालांक, ऐसा नहीं है कि केवल अमेरिका ही चीन और डब्ल्यूएचओ से नाराज है। पिछले हफ्ते और उससे ज्यादा समय से यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयन उन बातों का समर्थन कर रहे हैं, जिसमें वायरस की उत्पत्ति को लेकर जांच किए जाने की वकालत की जा रही है।

बता दें, इस हफ्ते ही यूरोपीय संघ ने घोषणा की है कि वह विश्व स्वास्थ्य सभा में एक प्रस्ताव पेश करेगा, ताकि डब्ल्यूएचओ के प्रदर्शन सहित कोरोना वायरस महामारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की समय पर समीक्षा की जा सके। वाशिंगटन और जिनेवा के राजनयिकों ने सुझाव दिया है कि प्रस्ताव को बहुत सारे देशों के साथ विमर्श के बाद तैयार किया जाए, ताकि अंतर्राष्ट्रीय संस्था की सालाना बैठक में चीन पर प्रेशर बनाया जा सके। वहीं, ब्रिटेन के रक्षामंत्री बेन वालेस ने भी चीन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने चीन के पारदर्शी होने पर जोर दिया है।

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210 से ज्यादा देश वायरस की चपेट में आए

कोरोना वायरस को शुरुआत में नियंत्रित करने को लेकर चीन की आलोचना होती रही है। इसके कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है और वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर अग्रसर है। जाकारी के लिए बता दें, कोरोना वायरस ने 210 से ज्यादा देशों के लोगों चपेट में आए हैं।

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