ग्रीनलैंड: एक ​देश जिसे अमरीका खरीदना चाहता है, जानें क्या मिला जवाब!

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हाल में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया के सबसे बड़े ​द्वीप ग्रीनलैंड को ख़रीदने की इच्छा जाहिर की। ट्रंप से पहले भी कई अमरीकी नेता ग्रीनलैंड को ख़रीदने की बात करते रहे हैं। यहां तक कि वर्ष 1946 में अमरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने ग्रीनलैंड को ख़रीदने के लिए डेनमार्क को 100 मिलियन डॉलर देने का प्रस्ताव भी दे दिया था, लेकिन यह स्वीकार नहीं हो सका था। मामले को ताज़ा करते हुए ट्रंप इसे ख़रीदने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। इस पर अब ग्रीनलैंड का जवाब भी आ गया है। आइए जानते हैं अमरीका को क्या जवाब मिला है। साथ ही हम आपको बताएंगे कि ऐसा क्या है जो ग्रीनलैंड को ख़ास बनाता है..’

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क्या कहा ग्रीनलैंड सरकार ने अमरीकी राष्ट्रपति के विचार पर?

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्हें अच्छा लगेगा अगर अमरीका दुनिया के सबसे बड़े द्वीप को ख़रीद ले। जानकारी के मुताबिक़, ट्रंप ने अपने सलाहकारों के साथ डेनमार्क के स्वायत्त क्षेत्र ग्रीनलैंड को ख़रीदने को लेकर चर्चा भी की है। लेकिन ग्रीनलैंड की सरकार ने अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की इस योजना को नकार दिया है। ग्रीनलैंड की सरकार का कहना है कि ‘हम व्यापार करने के लिए अमरीका का स्वागत करते हैं लेकिन बिकने के लिए नहीं।’ ट्रंप की ग्रीनलैंड ख़रीदने की योजना को डेनमार्क के राजनेताओं ने भी ख़ारिज कर दिया है। डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन ने ट्वीट किया, ‘यह ज़रूर अप्रैल फूल के मौके पर किया गया एक मज़ाक है, लेकिन अभी इसकी कहीं से भी ज़रूरत नहीं थी।’

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ग्रीनलैंड के विदेश मंत्रालय ने जारी किया एक बयान

अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के इस द्वीप को ख़रीदने की इच्छा जताने के बाद, ग्रीनलैंड के विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया है जो सोशल मीडिया पर काफ़ी शेयर किया जा रहा है। इस बयान में कहा गया है, ‘ग्रीनलैंड क़ीमती संसाधनों, जैसे कि खनिज, सबसे शुद्ध पानी, बर्फ़, मछलियों के भंडार, समुद्र फूड, क्लीन एनर्जी के साधनों से संपन्न है। हम व्यापार करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन बिकाऊ नहीं।’ वहीं, ग्रीनलैंड के प्रीमियर किम किल्सेन ने अपने बयान में कहा, ‘ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है। मगर यह व्यापार और दूसरे देशों के सहयोग के लिए हमेशा की तरह तैयार है जिनमें अमरीका भी शामिल है।’ ग्रीनलैंड के अधिकारियों ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि ग्रीनलैंड बिकने लिए उपलब्ध नहीं है।

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अमरीका को इसलिए लुभा रहा है ग्रीनलैंड

ग्रीनलैंड में अमरीका की रुचि दिखाने की सबसे बड़ी वजह यहां संसाधनों का प्रचुर मात्रा में होना बताया जाता है। ग्रीनलैंड के प्राकृतिक संसाधन, जैसे कोयला, तांबा, जस्ता और लौह-अयस्क की वजह से अमरीका इसे ख़रीदना चाहता है। ग्रीनलैंड के बारे में एक बात यह भी है कि एक ओर भले ही ग्रीनलैंड खनिजों के मामले में समृद्ध है, लेकिन वो अपने बजट के दो-तिहाई हिस्से के लिए डेनमार्क पर निर्भर रहता है। वैसे तो ग्रीनलैंड एक स्व-शासित देश है, लेकिन ऊपरी तौर पर डेनमार्क का उस पर नियंत्रण है।

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क्षेत्रफल की दृष्टि से ग्रीनलैंड दुनिया का 12वां सबसे बड़ा देश है। यह ब्रिटेन से 10 गुना ज़्यादा बड़ा है। ग्रीनलैंड का 20 लाख वर्ग किमी चट्टानी एरिया है। 80 फीसदी ग्रीनलैंड हमेशा बर्फ़ से ढ़का रहता है। ज्यादा ठंड के कारण यहां घास भी नहीं उग पाती है। अगर इसकी आबादी की बात करें तो यहां बहुत कम लोग रहते हैं। 1 जनवरी, 2019 तक ग्रीनलैंड की जनसंख्या मात्र 57,674 व्यक्ति है। यहां रहने वाले अधिकांश लोग डेनिश भाषा बोलते हैं। ‘डेनिश क्रोन’ यहां की मुद्रा का नाम है।

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पर्यटकों के क्या ख़ास है ग्रीनलैंड में?

बफ़ीला क्षेत्र होने के कारण पूरे ग्रीनलैंड में किसी भी प्रकार का रोडवे या रेलवे सिस्टम नहीं है। लेकिन यहां का सफ़र करने के लिए हेलीकॉप्टर, नाव या प्लेन से मौजूद हैं। इस द्वीप के बारे में सबसे रोचक बात यह है कि पूरी दुनिया में ग्रीनलैंड एक ऐसा देश है, जहां गर्मियों के समय में सूरज नहीं डूबता है। यहां रात में भी सूरज को देखा जा सकता है।

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पर्यटकों के लुत्फ़ उठाने के लिए ग्रीनलैंड में कई पर्यटन स्थल हैं। इनमें ग्रीनलैंड नेशनल पार्क, राजधानी नूक में स्थित कला संग्रहालय, बर्फ़ की घाटियां, सिसिमीट का ऐतिहासिक केंद्र, नूक कैथेड्रल, सांता क्लॉस हाउस, फजर्ड स्कोर्सबिसंड और इलुलिस्सट केंद्र शामिल हैं। भारत के 10 रुपये यहां 1 रुपये के बराबर है।

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