असम में जहरीली शराब से मरे लोगों के 4 बच्चों को गोद लेकर दंपति ने पेश की मिसाल

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असम राज्य के गोलाघाट और जोरहट में फरवरी माह में अवैध जहरीली शराब पीने से 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इनमें कई दंपति भी शामिल थे। जिनके बच्चे थे। इनकी मौत के बाद वे बच्चे अनाथ हो गए। उन बच्चों में से चार भाई बहनों को एक दंपति ने पालने का फैसला लेकर मानवता की बड़ी मिसाल पेश की है। असम में के जोरहाट में रहने वाली इस दंपति में पति का नाम देवव्रत और पत्नी का नाम संतना शर्मा है। दंपति ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा युवाओं को पढ़ाने और बच्चों के साथ समय बिताने में गुजारा है। इस दंपति ने निजी जीवन में अपनी इच्छा से कोई संतान नहीं की। लेकिन फरवरी में उत्तरी असम में चाय बागानों में हुई एक त्रासदी ने उनका जीवन बदल कर रख दिया। इस दंपति ने इस घटना के बाद चार अनाथ बच्चों को अपना लिया है।

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जहरीली शराब ने किया माता-पिता का जीवन अंत

उल्लेखनीय है कि असम के गोलाघाट और जोरहाट में इस फरवरी में अवैध शराब पीने से 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई और उनके कई बच्चे अनाथ हो गए। दंपती ने ऐसे ही चार अनाथ भाई-बहनों को अपनाया है। उन्होंने अप्रैल के अंत में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की सहमति के बाद चारों बच्चों को अपना लिया और घर ले आए। बच्चों को गोद लेने वाले देवव्रत जोरहाट कॉलेज के प्रिंसिपल हैं, जबकि उनकी पत्नी संतना जोरहाट जाति विद्यालय के प्रिंसिपल हैं। जोरहाट जाति विद्यालय एक क्षेत्रीय भाषाई स्कूल है जो सामुदायिक सहायता से चलता है। ये चारों बच्चे हलमीरा चाय के बागान में अपने माता-पिता के साथ रहते थे। यहां जहरीली शराब पीने से सबसे ज्यादा मौतें हुई थीं। परिवार के काम के चलते ये बच्चे पढ़ाई-लिखाई से दूर थे। लेकिन शर्मा परिवार में कदम रखते ही इन्होंने किताबों की दुनिया में कदम रख दिया। इस परिवार में आकर चारों भाई-बहनों को अपने जीवन का एक नया मकसद मिला है।

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सामाजिक कार्यों के लिए नि:संतान रहने का लिया था फैसला

जोरहट के इस शर्मा दंपति का कहना है कि हमने शादी के बाद ही नि:संतान रहने का फैसला लिया था। हम दोनों चाहते थे कि अपना जीवन और समय समाज की सेवा में लगाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने समाज को प्राथमिकता दी और 25 साल तक नि:संतान भी रहे। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम माता-पिता बनेंगे, लेकिन एक सामाजिक कार्य के लिए हमें अपना फैसला बदलने पर मज़बूर कर दिया।

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देवव्रत और संतना शर्मा ने बच्चों के अब अपनी पसंद के नाम भी रख दिए हैं। उन्होंने बताया कि 11 साल के बच्चे का नाम मरोम, नौ साल के बच्चे का नाम सेनेह, सात साल के बच्चे का नाम अडोर और तीन साल के बच्चे का नाम हेपाह रखा है। अब अगर सीडब्ल्यूसी पैनल बच्चों की परवरिश से संतुष्ट होगी तो इस दंपति को इन चारों बच्चों पूरी तरह से गोद लेना के लिए अधिकृत कर देगी। अचानक शर्मा फैमिली के जीवन में इन बच्चों के आ जाने से उन्हें भी बड़ी खुशी है।

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