सूर्य किरण विमान हादसा: क्या है इंडियन एयरफोर्स की एयरोबैटिक्स टीम? यहां जानिए..

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बेंगलुरु के येलहांका एयरबेस के पास मंगलवार को दो सूर्य किरण विमान आपस में टकरा गए। बेंगलुरु में होने वाले एयरो इंडिया शो के एक दिन पहले रिहर्सल के दौरान वायुसेना की सूर्य किरण एयरोबैटिक्स टीम के दो विमान टकराने से एक पायलट शहीद हो गया, जबकि दो पायलट हादसे में बाल-बाल बचे हैं। बेंगलुरु शहर के बाहर येलहांका एयरबेस पर 20 फरवरी से 24 फरवरी तक एयर शो का आयोजन होना है। इससे ठीक पहले यह विमान हादसा हो गया है। इस घटना में दोनों पायलटों के अलावा एक आम नागरिक भी घायल हुआ है। विमान का मलबा येलहांका के न्यू टाउन एरिया में इसरो लेआउट के करीब गिरा है। इस हादसे का शिकार हुए सूर्य किरण विमान क्या है? इन विमानों की क्या ख़ासियत है? जैसे सवालों के बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बताने जा रहे हैं..

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भारतीय वायुसेना की एयरोबैटिक्स प्रदर्शन टीम का परिचय

वर्ष 1996 में भारतीय वायुसेना में सूर्य किरण एयरोबैटिक्स टीम (स्कैट) को शामिल किया गया था। सूर्य किरण भारतीय वायुसेना की एक एयरोबैटिक प्रदर्शन टीम है। यह इंडियन एयरफोर्स की 52वें स्कवाड्रन का अहम हिस्सा मानी जाती है। स्क्वाड्रन 2011 तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) एचजेटी-16 किरण एमके-2 सैन्य ट्रेनर विमान से बनाया गया था और यह कर्नाटक के बिदार वायुसेना स्टेशन पर आधारित था। यह टीम कई बार एक साथ 9 विमानों के साथ हवाई करतब कर चुकी है। करीब 15 वर्ष बाद इस स्कैट को निलंबित कर दिया गया था। बाद में इसका फिर से निर्माण किया गया।

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2011 में किया था निलंबन, 2017 में नए विमानों के साथ दोबारा स्थापित किया

सूर्य किरण एयरोबैटिक्स टीम यानी इस स्कैट को फरवरी 2011 में कुछ वर्षों के लिए निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद साल 2017 में पहले स्वदेशी हॉक एमके-132 विमानों के साथ इसे दोबारा स्थापित किया गया। किरण एमके-2 की खास बात यह है कि इनकी तैनाती बंदूक, 250 किलोग्राम बम और 68 मिमी रॉकेटों से लैस आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए भी की जा सकती है। एमके-2 में कलर डाई ले जाने के लिए सुधार किया गया है। इस विमान में डीजल का इस्तेमाल सफेद धुएं निकालने के लिए किया जाता है। जबकि हवाई करतब दिखाते समय डीजल के साथ रंग मिलाकर उसका इस्तेमाल रंगीन धुएं के लिए किया जाता है। हॉक एमके-132 विमान एडवांस्ड जेट ट्रेनर एयरक्राफ्ट है। इसमें दो सीटें होती हैं। इसे बहुउद्देशीय विमान माना जाता है क्योंकि इसमें एक रोल्स रॉयस एडोर एमके-871 जैसा शक्तिशाली इंजन लगा हुआ है। यह एयरक्राफ्ट ज़मीन पर हमला करने में भी सक्षम माना जाता है।

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लड़ाकू विमान उड़ाने योग्य पायलटों को चुना जाता है एयरोबैटिक्स टीम में

सूर्य किरण विमान एयरोबैटिक्स टीम में कुल 13 पायलट होते हैं। इनमें से केवल 9 पायलट ही किसी भी समय उड़ान भर सकते हैं। स्कैट टीम के लिए वायुसेना के पायलटों में से चुनाव एक साल में दो बार होता है। इनकी नियुक्ति तीन साल के लिए होती है। इसमें केवल लड़ाकू विमान उड़ाने योग्य पायलटों का ही चयन किया जाता है। टीम के सभी पायलट क्वालिफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर होते हैं। इन पायलटों के पास किरण विमान चलाने का एक हजार घंटे और लड़ाकू उड़ान का लगभग 2 हजार घंटे का अनुभव होता है।

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एक साल में करीब 30 एयर शो करती है वायुसेना की स्कैट टीम

एयरोबैटिक्स टीम का नेतृत्व एक कमांडर लेवल का अधिकारी करता है। इसके साथ ही यह फॉर्मेशन का भी नेतृत्व करता है। वायुसेना के इस कमांडिंग ऑफिसर के पास अपने भविष्य के टीम पायलटों को चुनने का मौका होता है। स्कैट टीम में पायलटों के अलावा फ्लाइट कमांडर, एक एडमिनिस्ट्रेटर और क्वालिफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर होते हैं। इंडियन एयरफोर्स की यह टीम एक साल में करीब 30 एयर शो करती है। एयर शो के दौरान एयरोबैटिक्स टीम में शामिल 9 एयरक्राफ्ट तीन-तीन के समूहों में उड़ान भरकर स्पीड के साथ हवा में हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं।

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