मोबाइल और कंप्यूटर का घंटों तक इस्तेमाल करते हैं तो हो सकती है ये घातक बीमारियां

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सोशल मीडिया के इस युग में ज्यादातर लोग अपना ज्यादा समय मोबाइल और कंप्यूटर पर बिताते हैं। अक्सर लोग घंटों तक इनका किसी न किसी कारण से इस्तेमाल करते रहते हैं। लेकिन वे इस बात से बिल्कुल अंजान है कि ज्यादा मोबाइल और कंप्यूटर इस्तेमाल करने से शरीर में कई प्रकार की बीमारियां पनपने का खतरा भी उतना ही गुना बढ़ जाता है। इनके बेजा इस्तेमाल से कई मर्तबा ऐसी ​बीमारी पैर पसारने लगती है जो बाद में बेहद नुकसानदायक साबित होती है। व्यक्ति शुरु में इससे किनारा करता रहता है लेकिन बाद में फिर यही बीमारी घातक बन जाती है। इसलिए हमें पहले से ही सावधानी बरतनी चाहिए, जिससे होने वाली बीमारी की संभावना कम से कम रहे। आज हम आपको इनके इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों और उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं..

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यह बीमारी हो सकती है ज्यादा इस्तेमाल से

मोबाइल और कंप्यूटर या लैपटॉप पर घंटों काम करने से होने वाली बीमारियों में से एक है टेक्स्ट नेक। यह बीमारी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का गर्दन झुकाकर लगातार इस्तेमाल करने से होती है। अगर किसी व्यक्ति की गर्दन का मूवमेंट बंद हो जाए तो उसे काफी परेशानी हो सकती है। ऑस्ट्रेलियन स्पाइनल रिसर्च फाउंडेशन के पूर्व गवर्नर डॉक्टर जेम्स कार्टर की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, टेक्स्ट नेक नामक बीमारी से स्पाइन में 4 सेमी तक का झुकाव हो सकता है। साथ ही इससे सर्वाइकल स्पाइन यानि की गर्दन की हड्डी को स्थाई रूप से नुकसान होने का खतरा रहता है, जिसकी वजह से पूरा जीवन गर्दन दर्द के साथ बिताना पड़ सकता है।

डॉ. कार्टर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आज के समय में 14 से 44 वर्ष की आयु के लगभग 79 प्रतिशत लोग जागते समय सिर्फ 2 घंटे छोड़कर हर समय मोबाइल का किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करते रहते हैं। उनका कहना है कि टेक्स्ट नेक एक ऐसी बीमारी है जिसमें गर्दन का झुकाव आगे की तरफ हो जाता है। इसमें गर्दन की हडि्डयों में बदलाव आने से उनके डैमेज होने का खतरा बना रहता है।

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क्या होता है मरीज को इस बीमारी में?

टेक्स्ट नेक नामक इस बीमारी में मरीज की हडि्डयां घिस जाती हैं, जिसके कारण रोगी को सिर, गर्दन, कंधे और पीठ में लगातार दर्द बना रहता है। साथ ही इन अंगों की मसल्स भी अकड़ जाती हैं। इस बीमारी के होने पर रोगी के पीठ के ऊपर के हिस्से में तेज दर्द होने लगता है और वहां की मसल्स में स्ट्रेस आ जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि इस दौरान रोगी को पता नहीं चल पाता कि मोबाइल पर चैट करने या लैपटॉप या कंप्यूटपर पर मूवी देखते समय गर्दन को घंटों तक झुकाए रखने से उसकी गर्दन की मसल्स को तेजी से नुकसान पहुंच रहा है। इससे मसल्स में अकड़न बढ़ती जाती है।

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इन उपायों से किया जा सकता है बचाव

व्यक्ति को जितना हो सके मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट को अपनी आंखों के सामने रखना चाहिए। इस्तेमाल के दौरान अगर शरीर में दर्द होने लगे तो पोजीशन बदल लेनी चाहिए। मोबाइल, कम्प्यूटर या लैपटॉप का घंटों तक इस्तेमाल से बचते हुए समय पर बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए। कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करते वक्त टेबल और कुर्सी की ऊंचाई ठीक होनी चाहिए, जिससे यूजर अपनी कमर को सीधी रख सके।

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हालिया रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि भारत में औसतन हर व्यक्ति मोबाइल पर कम से कम तीन घंटे का समय बिताता है। वहीं, पड़ोसी देश चीन के लोग मोबाइल पर चार घंटे तक का समय प्रतिदिन बिताते हैं। अमेरिका में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति औसतन 5 घंटे प्रतिदिन का होता है। सर्वे में सामने आया कि दुनियाभर में मोबाइल और कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले करीब 50 प्रतिशत लोग इस बीमारी का सामना कर रहे हैं। इस बीमारी के शिकार ज्यादातर लोग इसे गर्दन और कंधे का दर्द समझते हैं जबकि असल में यह एक घातक बीमारी है जो कि इन गैजेट्स के इस्तेमाल से होती है।

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