सिनेमा जगत का सबसे बड़ा अवॉर्ड है ऑस्कर, क्या है इसका इतिहास

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बॉलीवुड सिनेमा जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार दादा साहब फाल्के है वैसे ही हॉलीवुड के लिए ऑस्कर सबसे बड़ा पुरस्कार है जो न केवल हॉलीवुड के लिए बल्कि पूरे सिनेमा जगत में सबसे बड़ा व सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है।

ऑस्कर पुरस्कार संयुक्त राज्य अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड सांइसेज (AMPAS) द्वारा सिनेमा जगत के निर्देशकों, निर्माताओं, कलाकारों और लेखकों सहित पेशेवरों को उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया जाता है। यह पुरस्कार कई अलग-अलग श्रेणियों में दिया जाता है।

24 फरवरी यानी कल 91वां अवॉर्ड समारोह आयोजित होने वाला है, आइए इस अवॉर्ड समारोह के बारे के इतिहास के बारे में कुछ जानते हैं।

दुनिया में सिनेमा जगत की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि ऑस्कर पुरस्कार का इतिहास क़रीब 90 साल पुराना है। इस पुरस्कार का पहला समारोह 16 मई, 1929 को हॉलीवुड के रूजवेल्ट होटल में ऑस्कर पुरस्कार प्रदान किये गए थे। इस समारोह में लगभग 250 लोग मौजूद थे। प्रारम्भ में

ऑस्कर पुरस्कारों की संख्या 15 थी। जिनके द्वारा 1927-1928 की अवधि के दौरान कलाकारों, निर्देशकों और उस समय की फिल्म निर्माण उद्योग की अन्य हस्तियों को उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार एमिल जेनिंग्स को दिया गया, जिसे ‘द लास्ट कमांड और द वे ऑफ़ ऑल फ्लेश’ में उनके प्रदर्शन के लिए दिया गया।

ऑस्कर ट्रॉफी की डिजाइन

ऑस्कर पुरस्कार में जो ट्रॉफी भेंट की जाती है उस ऑस्कर ट्रॉफी का आधिकारिक नाम ‘एकेडमी अवॉर्ड ऑफ मेरिट’ है।

मेट्रो गोल्डविन मेयर (एमजीएम) के कला निदेशक सेड्रिक गिबन्स ने ऑस्कर ट्रॉफी का शुरुआती डिजायन तैयार किया था। इस ट्रॉफी तैयार करने के लिए उन्हें एक मॉडल की ज़रूरत थी। इसी समय गिबन्स की पत्नी डोलोरेस डेल रियो ने मेक्सिकन फ़िल्म निर्देशक एमिलियो एल इंडियो फर्नाडे से उनका परिचय कराया और फर्नाडे को प्रतिमा के लिए मॉडल बनाए जाने की बात कही। आरंभ में फर्नाडे मॉडल बनने के लिए राजी नहीं थे लेकिन अंतत: वह इसके लिए न्यूड पोज देने पर सहमत हो गए।

प्रसिद्ध मूर्तिकार जार्ज स्टेनले ने पहले गिबन्स द्वारा दिये गए डिजाइन को मिट्टी की प्रतिमा के रूप में बनाया और सचिन स्मिथ ने इस प्रतिमा को 92.5 प्रतिशत टिन और 7.5 प्रतिशत तांबे से ढाला और फिर इस पर सोने की परत चढ़ाकर ऑस्कर प्रतिमा तैयार की गई। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तीन साल तक धातु की बजाय क्ले की ऑस्कर प्रतिमा तैयार की गई थी। बाद में पुनः धातु की ऑस्कर प्रतिमा प्रदान करने का चलन शुरू किया गया।

इन प्रमुख श्रेणियों में दिया जाता है ऑस्कर अवॉर्ड

मुख्य भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: 1928 से वर्तमान
सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता 1936 से वर्तमान
मुख्य भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: 1928 से वर्तमान
सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: 1936 से वर्तमान के लिए
सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फ़ीचर: 2001 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड लघु फिल्म: 1931 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन: 1928 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ छायांकन: 1928 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ परिधान डिजाइन 1948 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: 1928 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फ़ीचर: 1943 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र लघु विषय 1941 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ फिल्म संपादन: 1935 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म 1947 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ लाइव एक्शन लघु फिल्म: 1931 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ मेकअप: 1981 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ मूल स्कोर: 1934 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ मूल गीत: 1934 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ फिल्म: 1928 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ ध्वनि संपादन: 1963 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ ध्वनि मिश्रण: 1930 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ दृश्य प्रभाव: 1939 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ रूपांतरित पटकथा: 1928 से वर्तमान
सर्वश्रेष्ठ मूल पटकथा: 1940 से वर्तमान

ऑस्कर अवॉर्ड को विजेता बेच नहीं सकता
वर्ष 1950 के बाद से यह क़ानूनी प्रावधान सुनिश्चित किया गया है कि ऑस्कर पुरस्कार विजेता अथवा उसका स्वामित्व रखने वाले शख्स और न ही उनके उत्तराधिकारी को ऑस्कर ट्रॉफी बेचने का अधिकार नहीं है। यदि वे चाहे, तो धन के बदले अकादमी को ऑस्कर प्रतिमा लौटा सकते हैं। हालांकि इस प्रावधान के बावजूद ऑस्कर प्रतिमा बेचने के कई वाकये सामने आए हैं।

ऑन द स्पॉट होती है अवॉर्ड की घोषणा

ऑस्कर अवॉर्ड की घोषणा की खबर आखिरी समय तक किसी को नहीं हो पाती कि किस फिल्म को मिलेगा या कौन सर्वश्रेष्ठ अभिनेता होगा। पूर्व में अवॉर्ड्स की घोषणा पहले ही कर दी जाती थी।

वर्ष 1929 से चले आ रहे ऑस्कर अवॉर्ड में वर्ष 1940 में जाकर कुछ तब्दीलियां की गई। जैसे कि पहले विजेता फ़िल्म के नाम की घोषणा में कोई ख़ास एहतियात नहीं बरती जाती थी, पहले ही पता चल जाता था कि किस फ़िल्म को अवॉर्ड मिलने वाला है। लेकिन 1940 में सीलबंद लिफाफे की परंपरा शुरू हुई जो आज तक चल रही है, जब तक मंच से घोषणा नहीं हो जाती, किसी को पता नहीं होता कि इनाम किसे मिलने वाला है।

ऑस्कर अवॉर्ड वितरण समारोह में कब-कब हुई देरी
अब तक के इतिहास में मात्र तीन बार ऑस्कर अवॉर्ड वितरण में देरी हुई। पहला बार जब 1938 में लॉस ऐंजिल्स में भारी बाढ़ के कारण ऑस्कर पुरस्कार समारोह एक हफ्ते देरी से आयोजित किया गया।

इसके पश्चात् 1968 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के कारण शोक में पुरस्कार समारोह का आयोजन 8 अप्रैल के बजाय 10 अप्रैल को किया गया।
1981 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की हत्या के प्रयास के कारण तीसरी बार ऑस्कर पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन निर्धारित समय से 24 घंटे देरी यानी एक दिन की देरी से किया गया।

ऑस्कर पुरस्कार वितरण समारोह का प्रसारण वर्ष 1953 में पहली बार टेलीविजन पर किया गया था। इससे पहले अवॉर्ड वितरण की खबर केवल समाचार पत्रों में ही पढ़ने को मिलता था।
1961 में पहली बार एनबीसी टीवी ने ऑस्कर पुरस्कार समारोह का सीधा प्रसारण किया। वर्ष 1966 में पहली बार ऑस्कर पुरस्कार का सीधा रंगीन प्रसारण हुआ था और 1961 से लेकर 1975 तक एनबीसी ने ऑस्कर समारोह का प्रसारण किया।

बाद में ऑस्कर के प्रसारण का अधिकार एबीसी ने ख़रीद लिया और उसके पास इस समारोह का प्रसारण 2008 तक करने का अधिकार था। ऑस्कर पुरस्कार समारोह की ख़ास बात ये भी रही ये कभी भी लंबे समय तक एक स्थान पर आयोजित नहीं किया गया है।

ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त भारतीय

भानु अथैय्या पहली भारतीय थी जिन्हें पहला ऑस्कर प्रदान किया गया।
उन्हें फिल्म ‘गांधी’ (सन् 1983) के लिए ‘बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन’ श्रेणी में ऑस्कर दिया गया।
1992 में भारतीय फिल्मकार ‘सत्यजीत रे’ को मानद ऑस्कर अवॉर्ड दिया गया।
2009 में तीन भारतीयों ने ऑस्कर अवॉर्ड जीते। फिल्म ‘स्लम डॉग मिलेनियर’ के लिए रसूल पूकुट्टी को ‘बेस्ट साउंड मिक्स‌िंग’, एआर रहमान को ‘बेस्ट ओरिजनल स्कोर’ और गुलजार व एआर रहमान को संयुक्त रूप से ‘बेस्ट ओरिजन सॉन्ग’ की श्रेणी में ऑस्कर अवार्ड दिए गए।

ऑस्कर के लिए नामांकित पहली भारतीय फिल्म :-
‘मदर इंडिया’ को ‘ बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’ के लिए 1958 में नामांकित किया गया था। हालांकि यह फिल्म अवॉर्ड तो नहीं जीत पाई लेकिन इसने काफी तारीफें बटोरीं। इस फिल्म का निर्देशन महबूब खान ने किया था।

भारत की तीन फिल्में फाइनल तक पहुंची
महबूब खान की ‘मदर इंडिया’ (1957)
मीरा नायर की ‘सलाम बॉम्बे’ (1988)
आशुतोष गोवारिकर की ‘लगान’ (2001)

 

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