देशभर में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच में राजनीति हलचलें बनी हुई है। दरसअल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव शंकर सिंह वाघेला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने एनसीपी की सक्रिय सदस्यता भी छोड़ दी है। जानकारी के अनुसार, वाघेला गुजरात में एनसीपी के अध्यक्ष के पद पर जयंत पटेल उर्फ बोस्की की नियुक्ति के बाद से ही पार्टी नेतृत्व से ख़ासे नाराज चल रहे थे। राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि शंकर सिंह वाघेला का इस्तीफा उसी नाराज़गी का परिणाम है।
गुजरात की राजनीति में दिग्गज नेता माने जाते हैं वाघेला
जानकारी के लिए बता दें कि गुजरात की राजनीति में दिग्गज नेता माने जाने वाले शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस का साथ छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए थे। अपने जीवन की शुरुआत में आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य रहे वाघेला इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी के टिकट पर कपडवंज से पहली बार सांसद बने थे। हालांकि, वर्ष 1980 के चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। साल 1980 से 1991 तक वाघेला गुजरात में भाजपा के महासचिव और अध्यक्ष रहे। वर्ष 1984 से 1989 तक वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे। साल 1989 में वह गांधीनगर लोकसभा सीट से और 1991 में वह गोधरा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे।
इसके बाद वर्ष 1995 में जब गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 में से 121 सीटों पर जीत हासिल की थी, उस वक्त विधायकों ने वाघेला को ही अपना नेता चुना था। लेकिन, पार्टी ने केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी थी। इससे नाराज वाघेला ने सितंबर 1995 में 47 विधायकों के साथ अपनी ही पार्टी भाजपा से विद्रोह कर दिया था। हालांकि, बाद में समझौता हुआ और वाघेला के साथी सुरेश मेहता को सीएम बना दिया गया।
गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं वाघेला
साल 1996 के लोकसभा चुनाव में शंकर सिंह वाघेला को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता पार्टी नाम से एक पार्टी बनाई और अक्टूबर 1996 में कांग्रेस के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री पद पर बैठे।
हालांकि, अक्टूबर 1997 में उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनके साथी दिलीप पारिख गुजरात के मुख्यमंत्री बने। लेकिन वर्ष 1998 में गुजरात की राजनीतिक स्थिति ऐसी बनी कि विधानसभा चुनाव फिर से कराना पड़ा। शंकर सिंह वाघेला ने यह चुनाव नहीं लड़ा और अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया।
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इसके बाद जुलाई 2017 में 13 विधायकों के साथ उन्होंने कांग्रेस का हाथ भी छोड़ दिया और गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद से हट गए। इसी साल गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले जन विकास मोर्चा नाम से नया संगठन तैयार किया। चुनाव आयोग में पंजीकृत न होने की वजह से उन्होंने अखिल भारतीय हिंदुस्तान कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 95 प्रत्याशियों को उतारा। हालांकि, वह एक भी सीट नहीं जीत सके। इसके बाद शंकर सिंह वाघेला एनसीपी प्रमुख शरद पवार की पार्टी में शामिल हो गए थे।