पंजाबी फिल्मों के सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ ने स्कूलिंग के दौरान शुरू कर दिया था कीर्तन गायन

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पंजाबी व हिंदी फिल्मों के मशहूर एक्टर-सिंगर दिलजीत दोसांझ आज अपना 39वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। दिलजीत का जन्म 6 जनवरी, 1984 को पंजाब प्रांत में जालंधर जिले के दोसांझ कलां गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बलवीर सिं​ह और माता का नाम सुखविंदर कौर हैं। दलजीत के पिता पंजाब रोडवेज में बस ड्राइवर हुआ करते थे, वहीं उनकी मां एक सामान्य घरेलू महिला थीं। सिख परिवार में जन्मे दिलजीत का असल नाम दलजीत सिंह हैं। उन्होंने एक शख्स के कहने पर अपना स्टेज नाम दिलजीत दोसांझ कर लिया। इस ख़ास मौके पर जानिए दिलजीत दोसांझ के बारे में कुछ अनसुने किस्से…

पर्सनल लाइफ को काफ़ी प्राइवेट रखते हैं दिलजीत

दिलजीत के परिवार में एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई भी है। दिलजीत की पत्नी का नाम संदीप कौर है, जो अमेरिका में रहती है। इन दोनों की एक संतान भी है। दिलजीत दोसांझ अपनी पर्सनल लाइफ को शुरू से ही ​काफ़ी प्राइवेट रखते हैं। एक मध्यम वर्गीय परिवार से निकलकर पंजाबी सिनेमा का सुपरस्टार बनने तक का उनका सफ़र आसान नहीं था। आज वह पंजाबी इंडस्ट्री के सबसे सफलतम कलाकारों में से एक हैं।

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स्कूल के दौरान शुरू कर दिया था कीर्तन गाना

एक्टर-सिंगर दिलजीत दोसांझ का बचपन उनके गांव दोसांझ कलां में बीता। इसके बाद उनका परिवार लुधियाना आकर बस गया। उनकी स्कूली शिक्षा श्री गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूल, लुधियाना में हुई। दिलजीत ने यहां से हाई स्कूल डिप्लोमा किया। उन्होंने लुधियाना के अल मनार पब्लिक स्कूल से भी शिक्षा ली। दिलजीत को स्कूल के दिनों से ही गाना गाने का बड़ा शौक था। ​वे स्थानीय गुरुद्वारों में कीर्तन गायन किया करते थे।

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2004 में रिलीज हुआ था दिलजीत का पहला एल्बम

वर्ष 2003-2004 में दिलजीत दोसांझ ने पहला म्यूज़िक एल्बम ‘इश्क़ दा उडा आडा’ फाइनटोन कैसेट्स के साथ रिलीज़ किया था। फाइनटोन के राजिंदर सिंह की मदद से उनका पहला एल्बम रिलीज हो सका था। इस एल्बम में आठ गाने थे और सभी गाने बलवीर बोपाराय ने लिखे थे। जबकि बबलू महिंद्रा ने इस एल्बम के गाने कम्पोज किए थे। एल्बम के प्रोड्यूसर्स ने इसके टाइटल ट्रैक का वीडियो भी रिलीज किया था।

साल 2004 में दिलजीत दोसांझ का दूसरा एल्बम ‘दिल’ रिलीज़ हुआ, उसे भी फाइनटोन के साथ रिलीज़ किया गया था। उसके बाद उनका वर्ष 2005 में ‘स्माइल’ और साल 2006 में ‘इश्क़ हो गया’ एल्बम भी इसी म्यूजिक़ प्रोडक्शन हाउस ने रिलीज़ किया।

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‘लक 28 कुड़ी दा’ को दुनियाभर में पंसद किया गया

इसके बाद दिलजीत ने ‘चॉकलेट’, ‘द नेक्स्ट लेवल’, ‘अर्बन पेंदु’, ‘बैक टू बेसिक्स’, ‘कॉन्फ़िडेंशियल’, ‘रॉर’ और G.O.A.T. जैसे म्यूजिक़ एल्बम किए हैं। दिलजीत कई पंजाबी और हिंदी फिल्मों के लिए भी गाना गा चुके हैं। इसके अलावा उनके कई सिंगल्स सॉन्ग रिलीज़ हुए, जो काफ़ी हिट रहे हैं। इनमें ‘गोलियां’, ​’मिस लोनली’, ‘प्रॉपर पटोला’, ‘पटियाला पैग़’, ‘5 तारा’, ‘डू यू नो’, ‘रात दी गेड़ी’, ‘पुत्त जट्ट दा’ ‘पागल’, ‘आर नानक पार नानक’, ‘जिंद माही’, ‘सुरमा’ आदि शामिल हैं। हनी सिंह के साथ उनका गाना ‘लक 28 कुड़ी दा’ को दुनियाभर में खूब पंसद किया गया।

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‘द लॉइन ऑफ़ पंजाब’ से शुरू हुआ फ़िल्मी कॅरियर

दिलजीत दोसांझ का फ़िल्मी कॅरियर वर्ष 2011 में रिलीज हुई पंजाबी फिल्म ‘द लॉइन ऑफ़ पंजाब’ से शुरु हुआ। यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई, लेकिन दिलजीत का फिल्मी कॅरियर तेजी से आगे बढ़ा। इसके बाद उन्होंने ‘जिने मेरा दिल लुट्टेया’, ‘जट्ट एंड जूलियट’, ‘साड्डी लव स्टोरी’, ‘जट्ट एंड जूलियट-2’, ‘पंजाब 1984’, ‘सरदारजी’, ‘अम्बरसरिया’ ‘सुपर सिंह’, ‘सज्जन सिंह रंगरूट’, ‘छड़ा’ जैसे पंजाबी फिल्मों में काम किया।

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बॉलीवुड में फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ से की शुरुआत

एक्टर दिलजीत दोसांझ ने बॉलीवुड फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2016 में फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ से की। इसके बाद वह ​बॉलीवुड की ‘फिल्लौरी’, ‘वेलकम टू न्यूयॉर्क’, ‘सूरमा’, ‘अर्जुल पटियाला’, ‘गुड न्यूज़’ जैसी फिल्मों में नज़र आ चुके हैं। साल 2020 में दिलजीत फिल्म ‘सूरज पे मंगल भारी’ में मनोज वाजपेयी और सना शेख के साथ अहम भूमिका प्ले करते नज़र आए।

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पहली परफॉर्मेंस में दो लाइन बाद गाना भूल गए थे दिल​जीत

फिल्म डायरेक्टर-प्रोड्यूसर एवं शो होस्ट करण जौहर के शो ‘कॉफी विद करण’ में एक बार दिलजीत दोसांझ ने बताया था, ‘मैंने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस कच्छा (निक्कर) और बनियान में दिया था।’ इस किस्से का जिक्र करते हुए दिलजीत ने कहा था कि जब वो बच्चे थे तो उनके गांव में मास्टर सलीम परफॉर्मेंस के लिए आए थे।

लेकिन उनके आने से पहले तक दिलजीत स्टेज पर पहुंच गए थे, ताकि श्रोताओं को थोड़ा एंटरटेन किया जा सके। उस वक़्त दिलजीत दोसांझ सिर्फ़ निक्कर और बनियान में थे। स्टेज पर वो दो लाइन के बाद गाना भी भूल गए थे, हालांकि गांव वालों ने ताली बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया था।

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