हथियारों की खरीद के मामले में भारत को पीछे छोड़ यह देश आया पहले स्थान पर

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किसी भी देश की ताकत आज के समय उसकी विभिन्न प्रकार के आधुनिक हथियारों से सम्पन्न सेना है, आज चाहे किसी देश के पास मानव शक्ति कितनी ही अधिक क्यों न हो यदि उसके पास आधुनिक तकनीक वाले हथियार नहीं है तो एक छोटा सा हथियार सम्पन्न देश उसे पराजित कर सकता है। ऐसा ही हो रहा है आज के समय में जहां एक ओर वैश्विक शांति के लिए विभिन्न मंच कार्यरत है वहीं कई देश हथियारों की अंधी होड़ में इन मंचों की अवहेलना कर रहे हैं।

हथियारों की दौड़ में जहां कभी भारत पहले स्थान पर हुआ करता था उसे पीछे छोड़ते हुए सऊदी अरब अब सर्वाधिक हथियार खरीदने वाला देश बन गया है।

आधुनिक हथियारों की खरीद-फरोख्त पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था ‘थिंक टैंक’(स्टॉकहोम) ने हाल में एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि वर्ष 2014 से 2018 के बीच हथियार खरीदने के मामले में सऊदी अरब भारत को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का पहला देश बन गया है।

सऊदी अरब ने इन पांच वर्षों के दौरान वैश्विक स्तर पर की गई हथियारों की खरीद का 12 फीसदी हिस्सा खरीदा है, वहीं भारत ने इस दौरान 9.5 फीसदी के साथ इस दौड़ में दूसरे स्थान पर आ गया है।

हथियारों के यह खुलासा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) द्वारा प्रकाशित नए आंकड़ों में हुआ है।

इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 2009-2013 और 2014-18 के बीच भारत में रूसी हथियारों का निर्यात लगातार गिरा है। रिपोर्ट में इसका कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ के तहत विदेशी हथियारों पर देश की निर्भरता को कम करने की कोशिश बताई गई है।

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रूस से हथियारों खरीद में आयी कमी
सिपरी द्वारा जारी ‘इंटरनेशनल आर्म्स ट्रांसफर 2018’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014-2018 में मध्य भारत द्वारा जो हथियार आयात किये गए उसमें 58 प्रतिशत हिस्सा रूस से खरीदा गया था। रूस से हथियारों का यह आयात 2009-2013 की तुलना में कम था, जो इस अवधि में 76 फीसदी था।

भारत अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है। दुनिया के कुल हथियारों के आयात का 9.5 प्रतिशत भारत करता है। 2014-2018 के दौरान भारत ने हथियारों को निर्यात इजरायल, अमेरिका और फ्रांस से अधिक किया।

रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेशी हथियारों पर देश की निर्भरता को कम करने की कोशिशों के अनुसार 2009-2013 और 2014-2018 के बीच भारत के हथियारों के आयात में भारी कमी आई है। भारत के आयाता में इस गिरावट का एक कारण आंशिक रूप से विदेशी निर्यातकों से लाइसेंस प्राप्त हथियारों की डिलीवरी में देरी भी रही है।

2000-2013 के दौरान पाकिस्तान के हथियार आयात में 39 फीसदी गिरावट आई है। जिसका कारण अमेरिका, पाकिस्तान को हथियार और सैन्य सहायता मुहैया कराने में लगातार आनाकानी कर रहा है।

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