खुशबू के शौकीन हैं और परफ्यूम का ज्यादा यूज करते हैं, तो थोड़ा संभल जाइए

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आज की लाइफस्टाइल भरी जिंदगी में युवा स्मार्ट दिखने के लिए वो हर नुस्खे आजमाते हैं जिससे सामने वाला आकर्षित हो सके। चाहे फिर बात फैशनेबल कपड़ों की हो या फिर हेयरस्टाइल या महकी खुशबू के लिए परफ्यूम की।

शादी हो या पार्टी बस इनमें चारों ओर से कहीं तेज तो कहीं मध्यम खुशबू आती है, जो इनमें शामिल लोगों द्वारा इस्तेमाल की गई परफ्यूम की होती है। पर यह खूशबू किसे को तो सहनीय होती है तो किसी का सरदर्द बढ़ा देती है।

शादी-पार्टी तक तो बात समझ आती है पर आज के समय में कई लोग बिना डियोड्रेंट्स व परफ्यूम लगाये घर से बाहर निकलना ही पसंद नहीं करते हैं।

परफ्यूम की खुशबू सबको अच्छी लगती है और यही कारण है कि लोग रोज इसका इस्तेमाल करते हैं।

हर शौक की कुछ सीमाएं होती है यदि आप उसके साइड इफैक्ट को जाने बिना बहुत ज्यादा व लगातार उपयोग करते हैं तो यह आपके लिए मुश्किल भरा हो सकता है और हमारी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

एक अध्ययन में यह बात पता चली है कि परफ्यूम के ज्यादा इस्तेमाल से करने से महिलाएं व पुरुष अवसाद के भी शिकार हो सकते हैं।

तो आइए जानते हैं परफ्यूम व डियोड्रेंट्स कैसे हमारे शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं-

इस बात से तो आप परिचित होंगे ही कि परफ्यूम व डियोडरेंट बनाने में कई प्रकार के केमिकलों का उपयोग किया जाता है। ये केमिकल मानव त्वचा के लिए बेहद ही नुकसानदायक है। जब आपके द्वारा रोज इनका इस्तेमाल किया जाता है तो ये आपकी त्वचा में जलन पैदा कर उसे बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। डियोड्रेंट्स की तेज और केमिकल मिली खुशबू असहनीय होती है।

डर्मिटोलोजिस्ट्स (त्वचा रोग विशेषज्ञ) का भी कहना है कि डियोड्रेंट्स का इस्तेमाल काफी सावधानी से करना चाहिए।

ये केमिकल त्वचा में खुजली पैदा कर नुकसान पहुंचाते हैं।
परफ्यूम के इस्तेमाल से एलर्जी का भी खतरा बढ़ने का डर रहता है।
इस शोध में बताया है कि परफ्यूम व डियोड्रेंट्स के इस्तेमाल से ये केमिकल स्वेद (पसीने की) ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं और शरीर की टॉक्सिफिकेशन की प्राकृतिक प्रक्रिया को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

त्वचा में पायी जाने वाली नमी को सोख लेते हैं ये

हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ज्यादातर परफ्यूम में एल्कोहल का उपयोग किया जाता है, जो त्वचा की नमी को सोख लेता है। इससे हमारे शरीर में कई बीमारियां घर कर लेती हैं। कई बार इनमें मौजूद होने वाला न्यूरोटॉक्सिन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने का काम करता है।

यही नहीं इन खुशबू वाले पदार्थों को बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले केमिकल शरीर में मौजूद हार्मोन्स में असंतुलन पैदा कर देते हैं जिससे कई तरह की बीमारियां हो सकती है। कई बार ज्याद इस्तेमाल से त्वचा पर घाव या अजीब प्रकार के निशान भी बन जाते हैं, जिनमें जीवाणुओं से संक्रमण बढ़ सकता है ।

डियोड्रेंट्स में मौजूद केमिकल अल्जाइमर को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।

इनमें मौजूद केमिकल श्वांस से संबंधित रोग को पैदा करने में सहायक साबित होते हैं। अत्यधिक तेज गंध होने के कारण यह आपकी नाक के तंतुओं को भी क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। इसलिए इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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