कोरोना संक्रमितों के लिए वेंटिलेटर की जरूरत क्यों होती है? जानिए

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देश में कोरोना वायरस के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन मरकज मामले के बाद अचानक संख्या बढ़ने लगी है। जानकार इस घटना के बाद भारत में भी कोविड-19 को चीन और इटली की तरह स्टेज तीन से जोड़कर देख रहे हैं। इन लोगों का दावा है कि आने वाले दिन भारत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

अगर ये वायरस कम्युनिटी स्तर पर फैलता है तो भारत में स्थिति काफी खतरनाक हो सकती है। इस स्थिति में देश के अस्पतालों में वेंटिलेटर की जरूरत सबसे ज्यादा होगी। इसकी कमी दूर करने के लिए कई स्तर पर प्रयास शुरू हो गए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित बहुत कम ही लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है सिर्फ 3 से 5 प्रतिशत केस में ही मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।

जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में मरीज खुद से सांस नहीं ले सकते तो इस स्थिति में उन्हें वेंटिलेटर जैसे डिवाइस की जरूरत होती है। कंप्यूटर के जरिए कंट्रोल किए जाने वाले वेंटिलेटर की कीमत बाजार में 5 लाख रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक होती है। वेंटिलेटर की यह कीमत मॉडल और कंपनी पर निर्भर करती है।

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