दिल्ली के स्कूलों की कायापलट करने वाली आतीशि को हमें संसद तक क्यों पहुंचाना चाहिए ?

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार का एक चेहरा एक बार फिर मीडिया में छाया हुआ है। नाम है आतिशी (मार्लेना !)। इस बार आतिशी की चर्चा किसी विवाद के कारण नहीं बल्कि उनके अनोखे चुनावी कैंपेन की वजह से हो रही है। जी हां, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की पूर्व शिक्षा सलाहकार आतिशी मार्लेना को AAP ने पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव की फील्डिंग में लगाया है।

आतीशि (मार्लेना !) ने आम आदमी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव प्रचार शुरू कर एक क्राउडफंडिग कैंपेन की शुरूआत की है। जिसमें क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए फंड इकट्ठा करना शुरू किया है। बीते 6 फरवरी को शुरू हुए इस कैंपेन में कुछ ही घंटों में दो लाख रुपये से अधिक जमा हो गए।

दिल्ली के पब्लिक स्कूलों की कायापलट करने वाली आतिशी के इस कैंपेन की खूब तारीफ हो रही है। आइए जानते हैं आतिशी के बारे में।

ऑक्सफोर्ड से पढ़कर देश के लिए कुछ करने वापस लौटी

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और तृप्ता वाही के घर पैदा हुई अतिशी ने अपनी स्कूलिंग नई दिल्ली के स्प्रिंगडेल्स स्कूल से पूरी की और ग्रेजुएशन के लिए वो सेंट स्टीफन कॉलेज गई। इसके बाद आतिशी शेवनिंग स्कॉलरशिप पर मास्टर्स करने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चली गई। बाद में वह 2005 में मैगडलेन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में रोड्स स्कॉलर के रूप में शामिल हुईं।

जब आतिशी देश वापस लौटी तो कुछ समय तक आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में पढ़ाया। जिसके बाद वो, जैविक खेती जैसे कामों से भी जुड़ी। जब वह मध्य प्रदेश के भोपाल के पास एक छोटे से गाँव में रहने लगी तब उन्होंने कई एनजीओ के साथ काम करना शुरू कर दिया। जहां उनकी मुलाकात प्रशांत भूषण सहित कुछ अन्य AAP सदस्यों से हुई।

सरनेम का विवाद सुर्खियों में रहा

आतिशी का राजनीतिक एंट्री अभी हुई नहीं थी कि भारतीय राजनीति का क्लासिक रूप उन्हें देखने को मिला जब उनके सरनेम को लेकर उन्हें निशाना बनाया जाने लगा। जिसकी शुरूआत आतिशी द्वारा सोशल मीडिया पर उनका सरनेम हटाए जाने के बाद हुई। विरोधी दल भाजपा ने कहा कि उनका सरनेम मार्लेना ईसाई है जिसमें “मार्क्स” और “लेनिन” का एक मिक्स चित्रण होता है। हालांकि बाद में कई पोस्टरों में आतिशी का नाम आतिशी सिंह भी देखा गया। (अब समझ में आ गया होगा कि पूरे आर्टिकल में सरनेम ब्रेकेट में क्यों लिखा है)

सरकारी स्कूलों की कर दी कायापलट

आतिशी ने जब दिल्ली सरकार में शिक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी संभाली तब सरकारी स्कूलों के हालात बेहद दयनीय थे। एक ऐसे राष्ट्र में जहां बहुत से लोग अपने बच्चों को स्कूल ना भेजकर उन्हें किसी काम में लगा देत हैं। आतिशी ने बच्चों के माता-पिता और स्कूल टीचर के बीच की खाई को पाटने से लेकर काम शुरू किया। उन्होंने स्कूल मैनेजमेंट पर निगरानी की, जो स्कूलों और पैरेंट्स के बीच एक अहम कड़ी की तरह काम करता है।

छात्रों में “हैप्पीनेस लेवल” बढ़ाने के लिए आतिशी ने कई हैप्पीनेस कार्यक्रम शुरू किए। वहीं निजी स्कूलों के फीस को लेकर किए जाने वाले मनमाने रवैये पर नकेल कसी। 2017 में दिल्ली में आतिशी ने पैरेंट्स और टीचर मीटिंग रखी जिसमें 1,041 स्कूलों ने भाग लिया था।

चर्चा में रहा मिशन बनियाद

दिल्ली के एजुकेशन सिस्टम में सुधार के लिए आतिशी का सबसे बड़ा कदम मिशन बुनियाद को माना जाता है। तीन महीने तक चलने वाला इस मिशन में बुनियादी स्किल जैसे पढ़ने, लिखने को ग्रेड III से IX तक के सभी छात्रों के लिए शामिल किया गया। मिशन का उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार करना था। वहीं टीचरों और छात्रों के बीच एक मंच डिज़ाइन किया गया।

आखिर में अब, आतिशी का काम दिल्ली की स्कूलों का ट्रैक रिकॉर्ड बता रहा है, बस देखना यह होगा कि वो लोकसभा में अगर पहुंचती है तो अपनी आवाज को इसी बेबाकी से रख पाएगी या नहीं?

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