लालू के बेटों में मचा चुनावी घमासान, कौन संभालेगा बिहार-दिल्ली में पार्टी की कमान?

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बिहार और भारतीय राजनीति के बड़े चेहरे लालू प्रसाद यादव के परिवार में पिछले कुछ समय से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इनदिनों उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की वजह से यह परिवार एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल, लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव खुद को अपने छोटे भाई तेजस्वी के मुकाबले वंचित महसूस कर रहे हैं। तेजप्रताप अपने छोटे भाई तेजस्वी के राजद यानी राष्ट्रीय जनता दल में बढ़ते कद और खुद को तव्ज्जों नहीं मिलने से काफी आहत हैं। लालू यादव के परिवार में बेटे तेजस्वी, तेज प्रताप और बेटी मीसा भारती के बीच राजनीतिक विरासत की लड़ाई एक अलग मुकाम पर पहुंच गई है। जिसे बचा पाना लालू यादव के लिए भी आसान नहीं रह गया है। एक घोटाले में रांची की जेल में कैद और बीमार लालू प्रसाद यादव अपने बिखरते परिवार को देख और बीमार हो रहे हैं। बिहार की सारण लेाकसभा सीट को लेकर तेजप्रताप ने जैसे तेवर दिखाए और लालू-राबड़ी मोर्चा बनाने की घोषणा की, इसे पार्टी के लिए बिल्कुल भी अच्छे संकेत नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा भी कुछ वजह हैं जिनकी वजह से तेजप्रताप यादव अपने परिवार से नाराज चल रहे हैं। आइये जानते हैं पूरा मामला क्या है..

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तेजप्रताप ससुर चंद्रिका राय के सारण सीट पर चुनाव लड़ने से नाराज

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बिहार की सारण लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। लालू प्रसाद यादव का यह आखिरी चुनाव था। इसके बाद उन्हें अदालत ने बहुचर्चित चारा घोटाले में दोषी करार दे दिया गया, जिसकी वजह से उनके चुनाव लड़ने पर सज़ा पूरी होने तक बैन लग गया। ऐसा कहा जाता है कि राबड़ी देवी शुरुआत में सारण सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गई थीं, लेकिन अपने खराब स्वास्थ्य के चलते उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। इसके बाद हाल ही में राजद ने इस सीट से तेजप्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय को अपना प्रत्याशी बनाया है। इससे तेजप्रताप नाराज चल रहे हैं। तेजप्रताप यहां से अपनी मां राबड़ीदेवी या अपने किसी चेहते को टिकट दिलवाना चाहते हैं।

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अपने सुसुर का विरोध करने के पीछे की वजह?

तेजप्रताप यादव पिछले कुछ महीनों से अपने परिवार से ही नाराज चल रहे हैं। उनके नाराज होने की वजह यह है कि लालू परिवार ने उन्हें अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक नहीं लेने दिया। यहां तक कि जब उनकी बात पर परिवार ने सहमति नहीं जताई तो वह घर छोड़कर चले गए थे। तेजप्रताप कुछ सप्ताह के लिए बाहर ही रहे थे इसके बाद हाल में वे लौटे हैं। जबकि तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय अभी भी लालू परिवार के साथ रह रही हैं। पार्टी ने तेजप्रताप के ससुर चंद्रिका राय को उनके पिता लालू प्रसाद यादव की सीट सारण से टिकट दिया है। तेज प्रताप ने इसका भी विरोध किया और आरजेडी की स्टूडेंट विंग से इस्तीफा देकर पार्टी में खलबली मचा दी। यहां तक ही उन्होंने नई पार्टी बना लेने की धमकी तक दे डाली। लेकिन छोटे भाई तेजस्वी यादव ने उनकी सारी बातों को दरकिनार करते हुए उनके ससुर चंद्रिका राय को उम्मीदवार घोषित कर दिया।

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ससुर राय का टिकट वापस नहीं लिया तो उनके सामने चुनाव लड़ेंगे तेजप्रताप

लागू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने अब धमकी दी है कि अगर राजद चंद्रिका राय से टिकट वापस नहीं लेता है तो वह खुद सारण सीट से इस बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। तेजप्रताप इसके साथ ही शिवहर और जहानाबाद सीट से अपने करीबी लोगों के लिए टिकट दिलवाना चाहते हैं। पिता लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थित में राजद संभाल रहे छोटे भाई तेजस्वी यादव ऐसा नहीं करते हैं तो तेजप्रताप ने कथित तौर पर धमकी दी है कि वह अपनी नई पार्टी के बैनर तले अपने उम्मीदवार लोकसभा चुनाव 2019 में उतारेंगे।

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जानकारी के अनुसार, तेजप्रताप इसलिए भी ज्यादा नाराज हुए हैं कि उनके एक भी करीबी को टिकट नहीं दिया गया। इससे पहले बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान वह अपने कुछ करीबी लोगों को टिकट दिलाने में सफल हो गए थे। लेकिन अब फैसला लेने का पूरा अधिकार उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव के पास है। वहीं, तेजप्रताप के हाथ में न तो प्रचार अभियान की कमान है और न ही उनकी टिकट बांटने में कोई भूमिका है।

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इस बार आर-पार की लड़ाई में तेजप्रताप

लोकसभा चुनाव में तेजप्रताप की दखलअंदाजी से उनकी बहन मीसा यादव भी ख़ासी नाराज़ बताई जाती है। वहीं, तेजप्रताप यादव भी इस बार अपने कद को लेकर आर-पार के मूड में दिख रहे हैं। तेजप्रताप को पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक मामले में बहन मीसा का साथ मिला था। माना जा रहा है कि राजद में तेजप्रताप और मीसा अपनी उपेक्षा को लेकर नाराज़ हैं। मां राबड़ीदेवी इस मामले में असहाय दिखती हैं, तो पिता लालू यादव रांची की जेल से मामले को सुलझाने में नाकाम साबित होते दिख रहे हैं।

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राजद के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं तेजप्रताप

छोटे बेटे तेजस्वी यादव को जबसे लालू ने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है, तभी से सवाल उठा रहा है कि मीसा और तेजप्रताप के लिए उन्होंने राजद में कितनी जगह छोड़ी है। लालू प्रसाद यादव और राबड़ीदेवी दोनों का मानना है कि तेजस्वी यादव ने खुद को साबित किया है और वह उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी बने रहेंगे। वहीं, आज तेजप्रताप यादव के पीछे राजन तिवारी को छोड़कर कोई बड़ा नेता नहीं है, लेकिन राजद के अंदर बड़ा वर्ग है, जो तेजप्रताप को अपना नेता मान सकता है। मामा साधु यादव, फातमी, कांति सिंह जैसे नेताओं को वह अपने पाले में ला सकते हैं।

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यह तय है कि तेजप्रताप के राजद से अलग होने पर भले ही तत्काल प्रभाव न दिखे, लेकिन भविष्य में राजद के लिए वे एक चुनौती बनकर खड़े होंगे। कहा जा रहा है कि तेजप्रताप मां राबड़ीदेवी के बड़े भाई और उनके मामा साधु यादव के प्रभाव में हैं, जिनकी एक समय में पार्टी में काफी चलती थी। लेकिन बाद में लालू यादव ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। इस मामले में राजनीतिक जानकारों के अनुसार ताज़ा जानकारी यह है कि तेजप्रताप के जरिए साधु यादव राजद में वापसी करने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं। आख़िर यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू का यह राजनीतिक परिवार टूटने से बच जाएगा या टूट जाएगा।

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