यूजीसी ने डुअल डिग्री प्रोग्राम को मान्यता दी, छात्रों को होगा दोहरा फायदा

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानि यूजीसी ने देश में डुअल डिग्री प्रोग्राम को मान्यता दे दी है। यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने मंगलवार को बताया कि उच्च शिक्षा नियामक यूजीसी की ओर से डुअल डिग्री और ट्विन डिग्री कार्यक्रमों को मान्यता दे दी गई है। इसके तहत देश की कोई भी यूनिवर्सिटी किसी अन्य देश की यूनिवर्सिटी के साथ आपसी समझौते के तहत डुअल डिग्री कार्यक्रमों का संचालन कर सकती है। इससे स्टूडेंट्स को दोहरा फायदा मिल सकेगा।

शीर्ष 100 संस्थान ही शुरू कर सकते हैं डुअल डिग्री प्रोग्राम

प्रो. जगदीश कुमार ने प्रेसवार्ता में बताया कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, नैक (NAAC) यानि नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडेशन काउंसिल की ओर से 3.01 स्कोर के साथ मान्यता प्राप्त और नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के तहत शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शुमार संस्थान ही डुअल डिग्री कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।

भारत में दोहरी डिग्री कार्यक्रम की पेशकश करने के लिए इन संस्थानों को क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग और टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में शामिल की गई यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू और समझौता करना होगा। यूजीसी अध्यक्ष कुमार ने स्पष्ट किया कि इन मानदंडों पर खरे उतरने वाले संस्थानों को अलग से मान्यता या स्वीकृति लेनी की आवश्यकता नहीं है। साथ ही स्टूडेंट्स को विदेशी यूनिवर्सिटी से 30 फीसदी क्रेडिट स्कोर हासिल करना होगा।

ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों पर लागू नहीं होगा

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि ये नियम और स्वीकृत किसी ओडीएल यानि ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग यूनिवर्सिटी या संस्थान के द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर लागू नहीं होंगे। इसका मतलब यह है कि दोहरी डिग्री कार्यक्रम किसी ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों पर लागू नहीं होगा।

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