ना खुदा मिला ना विसाले सनम: एक आईपीएस ने टिकट के चक्कर में खो दी अपनी नौकरी

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राजनीति के मैदान में कूदने के लिए अच्छे-अच्छे आईएएस और आईपीएस अपनी नौकरियां दांव पर लगाने को तैयार है। इसका एक उदाहरण राजस्थान कैडर के एक आईपीएस है जिन्होनें टिकट पाने के चक्कर में अपनी नौकरी ही खो दी। पुलिस हैडक्वार्टर में सीआईडी शाखा के एसपी मदनगोपाल मेघवाल ने शुक्रवार को चुनाव लड़ने के लिए अपना वीआरएस यानी वॉलन्ट्री रिटायरमेंट मंजूर करा लिया।

मेघवाल कांग्रेस से बीकानेर की खाजूवाला सीट का टिकट मांग रहे थे लेकिन कांग्रेस द्वारा गुरूवार देर रात जारी की गई सूची में उनका नाम ही नहीं था और शुक्रवार शाम को उनका वीआरएस मंजूर हो गया। आरपीएस से आईपीएस में पदोन्नत हुए मदनगोपाल की अभी 5 साल की नौकरी और बाकि थी जिसमें उन्हें प्रमोशन भी मिल सकता था लेकिन अब ना तो वो आगे नौकरी कर पाएंगे और ना ही चुनाव लड़ सकेंगे।

राजस्थान में ऐसे कई ब्यूरोक्रेट्स है जो अपनी नौकरियां छोड़कर राजनीति में आने और चुनाव लड़ने की लगातार कोशिशों में हैं लेकिन बहुत ही कम ऐसे लोग हैं जिनका ये फैसला उनके पक्ष में जाता है। ऐसे ही दौसा से सांसद हरीश मीणा ने पिछले लोकसभा चुनाव में आईपीएस की अपनी नौकरी छोड़ राजनीति में आने का फैसला लिया था जिसके बाद भाजपा ने उन्हें दौसा सीट से टिकट दिया और वो पहली बार में ही जीत गए।

आईपीएस आईएएस क्यों छोड़ देते हैं अच्छी खासी नौकरी

वरिष्ठ आईएएस आईपीएस में पिछले कई सालों से नौकरी छोड़ राजनीति में आने का ट्रेंड काफी बढ़ा है। जिंदगीभर आराम की नौकरी करने के बाद ये लोग राजनीति में इसलिए आना चाहते हैं ताकि उनके पास से कभी पावर जाए ही नहीं। हालांकि राजनीतिक पार्टियों के लिए भी ये लोग ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं क्योंकि सरकारी मशीनरी का चुनावों और राजनीति में सही इस्तेमाल कैसे किया जाए इनसे बखूबी और कोई नहीं जानता है। हर क्षेत्र में मजबूत पकड़ के चलते नौकरशाहों को पार्टियां टिकट देने से पीछे नहीं हटती हैं।

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