
भारतीय सिनेमा के मशहूर निर्माता-निर्देशक और स्क्रीन राइटर चेतन आनंद की 3 जनवरी को 100वीं जयंती है। हिंदी सिनेमा में चेतन आनंद को उनके अतुल्य योगदान के लिए जाना जाता है। चेतन आनंद गुजरे जमाने के मशहूर अभिनेता देव आनंद के बड़े भाई थे। वहीं, उनकी छोटी बहन मशहूर फिल्म निर्देशक शेखर कपूर की माँ हैं। चेतन ने भाई देव के साथ मिलकर वर्ष 1949 में ‘नवकेतन फिल्म्स’ की नींव रखी थी। ऐसे में इस मौके पर जानते हैं उनके बारे में कुछ ख़ास बातें..
फिल्मों से पहले करते थे ये काम
चेतन आनंद का जन्म 3 जनवरी, 1921 को भारत के बंटवारे से पहले लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता पिशोरी लाल आनंद अपने जमाने के मशहूर वकील थे। सिने सफर शुरु करने से पहले चेतन ने बीबीसी में काम किया और देहरादून के दून स्कूल में बतौर अध्यापक अपनी सेवाएं दी। वर्ष 1940 में चेतन ने मायानगरी का रुख करने का फैसला लिया। वे एक स्क्रिप्ट के साथ मुंबई की ओर निकल पड़े।
पहली फिल्म से बनाई अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति
सिनेमा में कॅरियर बनाने का सपना लिए चेतन आनंद मुंबई तो आ गए मगर अभी भी उनकी मंजिल कोसों दूर थी। यहां भी उनके कुछ साल संघर्षों में ही गुजरे। साल 1944 में उन्हें फिल्म राजकुमार में बतौर लीड एक्टर लिया गया। इंडियन पीपल्स थियेटर असोसिएशन के सदस्य रहते हुए उन्होंने साल 1946 में फिल्म ‘नीचा नगर’ का निर्देशन किया। अपनी पहली ही फिल्म से चेतन बॉलीवुड में पहचान बनाने में कामयाब रहे।
पहली फिल्म के नाम है ये दर्जा
नीचा नगर को कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में सराही गई। कान फिल्म फेस्टिवल में फिल्म सभी का दिल जीतने में कामयाब रही। यही नहीं फिल्म ने अवॉर्ड अपने नाम कर बॉलीवुड की पहली अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने वाली पहली फिल्म का दर्जा भी हासिल किया।
नवकेतन प्रोडक्शन हाउस की नींव
चेतन आनंद ने अपने छोटे भाई देव आनंद के साथ मिलकर साल 1950 में नवकेतन प्रोडक्शन हाउस की नींव रखी, जो फिल्मों का निर्माण करती थी। उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘हकीकत’, ‘हीर-रांझा’, ‘हंसते जख्म’, ‘हिदुस्तान की कसम’ जैसी फिल्में प्रमुख हैं, जिन्हें भारतीय दर्शकों ने खूब प्यार दिया।
Read More: ज़िंदगी में दो बार मौत के बहुत करीब से गुजरे थे अभिनेता संजय खान