फोन की बैटरी तय करती है लोगों का मूड, फुल चार्ज रखने वाले लोग होते हैं पॉजिटिव

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तकनीक ने लोगों को इस कदर अपने कंट्रोल में कर लिया है कि उसके न होने पर तनाव बढ़ जाता है। एक शोध से यह खुलासा हुआ है कि मोबाइल फोन की बैटरी लोगों के मूड को कंट्रोल करती है। जिसके कम—ज्यादा होने पर लोग वैसा ही व्यवहार करते हैं। हाल में लंदन यूनिवर्सिटी के मार्केटिंग रिसर्चर थॉमस रॉबिन्सन और फिनलैंड की अल्टो यूनिवर्सिटी के एरिक अर्नोल्ड द्वारा किये गये शोध में ये बात सामने आई है। शोध के अनुसार, जिन लोगों के मोबाइल की बैटरी हमेशा चार्ज रहती है वो अपनी ऊर्जा का उपयोग लंबे वक्त तक करते हैं। ऐसे लोग ज्यादा संगठित होते हैं। वहीं, जिन लोगों के फोन की बैटरी कम चार्ज रहती है या फोन की बैटरी पर कम फोकस करते हैं, वे लोग अपने जीवन में अव्यवस्थित रहते हैं।

कई लोग करते हैं बैटरी के अनुसार अपनी यात्रा

इन शोधकर्ताओं ने 23 से 57 वर्ष की उम्र के बीच के 22 लंदनवासियों पर शोध किया जो रोजाना यात्रा के दौरान 60-180 मिनट का समय बिताते हैं। ये शोध में भाग लेने वाले ये लोग यात्रा के दौरान अपनी मंजिल से 10 किलोमीटर दूर हैं या रास्ते में 10 स्टॉपेज हैं, तो वे उसकी तुलना आपने मोबाइल की बैटरी से करते हैं। जैसे फोन में बैटरी 50% है तो कितना समय में गंतव्य पहुंचेंगे और बैटरी को फुल चार्ज करने में कितना वक्त लगेगा। बैटरी का घटता पावर उन्हें समय से फोन चार्ज के लिए प्रेरित करती है। अकसर जिन लोगों के फोन की बैटरी कम होने लगती है तो वे उसे चार्ज करने के लिए जल्द से जल्द ऐसी जगह पर पहुंचना पसंद करते हैं जहां वो अपना फोन चार्ज कर सकें।

फोन की बैटरी फुल रखने वाले होते हैं सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति

 

यही नहीं शोध में इस बात का पता चला कि जिनका मोबाइल फुल चार्ज रहता है वे लोग पॉजेटिव सोच रखते हैं और ऐसे में वे कहीं भी जा सकते हैं। वहीं आधी या इससे कम बैटरी चार्ज है तो उनमें नेगेटिव सोच बढ़ती है। शोध में शामिल प्रतिभागियों से जब पूछा गया कि दिन ढलने के साथ उन्हें अपने डिवाइस की बैटरी आइकन देखने में कैसा लगता है। तो उनका जबाव था कि फुल बैटरी देखना बेहद सुख देता है। वहीं 50 प्रतिशत बैटरी होने पर चिंता जनक और 30 प्रतिशत पर पहुंचने पर यह चिंता ओर बढ़ जाती है।

शोधकर्ताओं ने स्पष्ट रूप से बताया कि इस प्रकार की चिंताएं दर्शाती है कि हम किस कदर तकनीकी उपकरणों पर निर्भर हो रहे हैं और यह सब इन पर निर्भरता का परिणाम है। फोन की बैटरी कई चीजों पर असर डालती है। इससे फोन मैप, डिजिटल वॉलेट, डायरी, एंटरटेनमेंट भी प्रभावित होता है।

डॉ. रॉबिन्सन कहते हैं- शोध के दौरान हमने पाया कि जिन लोगों के मोबाइल की बैटरी हमेशा फुल चार्ज रहती है या जो हमेशा ही उस पर नजर बनाए रहते हैं, वे लोग उच्च स्तर के प्रबंधन को बनाए रखने के लिए बेहतर कदम उठाते हैं। इसके विपरीत, जो बैटरी चार्ज नहीं रखते हैं वे अव्यवस्थित और किसी भी काम को सही ढंग से करने में पीछे रहते हैं।

यही नहीं शोध से इस बात का भी पता चला कि जिन लोगों के फोन में बैटरी कम चार्ज रहती हैं, वे दूसरे लोगों पर अधिक निर्भर रहते हैं, इनका सामाजिक दायरा भी कम रहता है। जो लोग फोन की बैटरी को सही तरीके से मैनेज नहीं कर पाते है वे अपने जीवन का प्रबंधन करने में भी दिक्कतों का सामना करते हैं।

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