बर्थडे: सबसे लंबे समय तक राज करने वाली कम्युनिस्ट सरकार को हराकर सीएम बनी थी ममता बनर्जी

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तृणमूल कांग्रेस पार्टी यानि टीएमसी की फाउंडर और पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज 5 जनवरी को अपना 68वां जन्मदिन मना रही हैं। उनका जन्म वर्ष 1955 में पश्चिम बंगाल के कलकत्ता (अब कोलकाता) में एक हिंदू परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम प्रोमिलेश्वर बनर्जी और माता का नाम गायत्री देवी था। एक निम्न-मध्यम श्रेणी परिवार में जन्मी ममता ने बहुत ही कम उम्र में अपने पिता को खो दिया था।

कहा जाता है कि उनके पिता की मृत्यु मेडिकल ट्रीटमेंट की कमी के कारण हुई थी। स्कूल के समय ही छात्र राजनीति में कदम रखने वाली ममता बनर्जी ने मई 2021 में लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। राजनीति के अलावा वे अपनी लाइफस्टाइल को लेकर भी चर्चा में रहती हैं। इस ख़ास मौके पर जानिए उनके जीवन बारे में कुछ अनसुनी बातें…

करोड़ों में बेची पेंटिंग्स, नहीं किया विवाह

ममता बनर्जी ने कोलकाता में जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कलकत्ता विश्वविद्यालय से इस्लामी इतिहास में मास्टर्स डिग्री की। ममता ने कोलकाता के श्री शिक्षायतन कॉलेज से शिक्षा में डिग्री और जोगेश चन्द्र चौधरी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री भी हासिल की है। ममता बनर्जी को पेंटिग्स बनाना, लेखन करना और संगीत सुनना बहुत पसंद हैं। वे कई कविताएं और किताबें लिख चुकी हैं। इसके अलावा ममता अबतक 9 करोड़ रुपये से अधिक की अपनी पेंटिंग्स भी बेच चुकी हैं। ममता बनर्जी आजीवन सिंगल हैं, यानि उन्होंने विवाह नहीं किया है।

ममता को प्यार से दीदी कहकर बुलाते हैं लोग

छह भाई-बहनों वाले बड़े परिवार में पैदा हुई ममता बनर्जी के सिर से पिता का साया बचपन में उठ जाने के बाद, उनकी मां पर ही घर चलाने और ममता व अन्य 5 बच्चों की जिम्मेदारी आ गई थी। मुफ़लिसी में बचपन बिताने वाली ममता ने कम उम्र से ही घर के कामों में अपना मन लगा लिया था। उन्होंने स्कूल के दिनों से राजनीति की शुरुआत कर दी थी। उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी की छवि हमेशा से ही एक कद्दावर और चतुर नेता की रही है। अपने राजनीतिक दाव-पेंच और तेज-तर्रार रवैये के चलते ममता अक्सर चर्चाओं में रहती है। ‘स्ट्रीट फाइटर’ के नाम से मशहूर ममता को बंगाल के लोग प्यार से ‘दीदी’ कहकर बुलाते हैं।

कांग्रेस से अलग होकर बनाई अपनी पार्टी

साल 1997 में कांग्रेस से अलग होने के बाद ममता बनर्जी ने एक नई पार्टी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस यानि टीएमसी का गठन किया। टीएमसी बहुत जल्द ही सीपीआई (एम) के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल बन गई थी। पश्चिम बंगाल के वर्ष 2011 के विधानसभा चुनावों में ममता की टीएमसी ने रिकॉर्ड जीत के साथ राज्य में इतिहास बनाया। उनकी पार्टी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की अगुवाई वाली 34 वर्ष पुरानी वाम मोर्चा सरकार को उखाड़कर फेंक दिया।

यह लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित दुनिया की सबसे लंबी समय तक राज करने वाली कम्युनिस्ट सरकार थी। विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक प्रदर्शन करने वाली टीएमसी की लीडर ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की पहली मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। साल 2016 के चुनावों में एक बार फिर ममता सीएम बनीं।

ममता बनर्जी दोनों एनडीए और यूपीए निहित दोनों सरकारों में मंत्री रह चुकी हैं। ममता को देश की पहली महिला रेलमंत्री होने का कीर्तिमान भी हासिल है। उन्होंने दो बार केन्द्रीय रेल मंत्री का पद संभाला। उनके द्वारा केन्द्र सरकार में संभाले गये अन्य प्रमुख पदों में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, कोयला मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री और युवा मामले एवं खेल विभाग शामिल हैं।

IAC ने बताया था सबसे ईमानदार राजनेत्री

मई 2013 में भारत के एक भ्रष्टाचार विरोधी संघ ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्सन’ ने ममता बनर्जी को देश की सबसे ईमानदार राजनेत्री के रूप में चुना गया था। दीदी ने हमेशा एक दृढ़ और सरल जीवन शैली अपनाई है। वे कई मानव और सामाजिक अधिकार संगठनों से जुड़ी हैं, जो गरीब बच्चों और महिलाओं के कल्याण और विकास को बढ़ावा देते हैं, गरीबों को बिना शुल्क लिए कानूनी सहायता प्रदान करते हैं। ये संगठन बच्चों और माताओं के लिए विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित करते हैं।

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चर्चा में रहता है ‘दीदी’ का स्टाइलिश पहनावा

ममता राजनीति के अलावा अपनी लाइफस्टाइल को लेकर भी अक्सर चर्चा में बनी रहती है। दीदी राजनीति में आने के बाद से ही कॉटन की सफेद साड़ी पहनना पसंद करती है। साधारण वेशभूषा में रहने वाली ममता बनर्जी कई बार पैरों में रबड़ की हवाई चप्पलें पहने हुए देखी जा सकती है। पश्चिम बंगाल राज्य की मुख्यमंत्री बनने के बाद से वो अभी तक अपने पुराने घर में ही रहती हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ममता बनर्जी सैलरी के तौर पर मात्र 1 रुपया लेती है। राजनीति से इतर वे सादगी भरी ज़िंदगी के लिए भी जानी जाती है।

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