जेपी नड्डा पटना विश्वविद्यालय के छात्रसंघ सचिव रहे थे, आज हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष

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मोदी सरकार-1 में स्वास्थ्य मंत्रालय संभालने वाले भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आज अपना 62वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 2 दिसंबर, 1960 को बिहार राज्य के पटना शहर में हुआ था। जेपी के पिता का नाम डॉ. नारायण लाल नड्डा और माता का नाम स्व. कृष्णा नड्डा हैं। जेपी का नड्डा पूरा नाम जगत प्रकाश नड्डा है। पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मोदी सरकार-2 में बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ लेने के साथ ही देश की राजनीति के गलियारों में यह चर्चा होने लगी थी कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा?

गृह मंत्रालय जैसा अहम विभाग संभालने के साथ-साथ पहले से पार्टी अध्यक्ष का पद संभाल रहे अमित शाह की व्यस्तता को देखते हुए सर्वप्रथम जेपी नड्डा को भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। ऐसा पहली बार हुआ था जब भाजपा में कोई कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। इसके करीब छह माह बाद नड्डा पार्टी अध्यक्ष चुने गए। इस ख़ास मौके पर जानिए दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के प्रमुख के बारे में अनसुनी बातें…

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पटना में हुई जेपी नड्डा की प्रारंभिक शिक्षा

जेपी नड्डा की प्रारंभिक शिक्षा पटना के सेंट जेवियर स्कूल में हुई। पटना कॉलेज से इन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उनका विवाह 11 दिसम्बर, 1991 को डॉ. मल्लिका नड्डा के साथ हुआ। उनसे इन्हें दो पुत्र हरीश व गिरीश हैं। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा का स्थायी निवास हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में झंडूत्ता तहसील का विजयपुर गांव स्थित है।

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ऐसा रहा है अब तक का राजनीतिक सफ़र

जगत प्रकाश के राजनीतिक सफ़र की शुरूआत वर्ष 1975 में जेपी आंदोलन से हुई थी। आंदोलन में भाग लेने के बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हो गए थे। नड्डा ने मात्र 16 वर्ष की उम्र में बिहार में स्टूडेंट मूवमेंट में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वर्ष 1977 में हुए छात्र संघ चुनाव में नड्डा पटना विश्वविद्यालय के छात्रसंघ सचिव चुने गए। वर्ष 1982 में इन्हें हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। वर्ष 1983-1984 में नड्डा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से वकालत की पढ़ाई की। वर्ष 1983 में पहली बार हुए केन्द्रीय छात्र संघ (एससीए) चुनाव में एचपीयू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष बने।

भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में 45 दिन जेल में रहे

जेपी नड्डा सन् 1986 से 1989 तक एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे। वर्ष 1989 में केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की वजह से 45 दिन तक जेल में रहे। वर्ष 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नड्डा को भारतीय जनता युवा मोर्चा का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया। वर्ष 1991 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 1993 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधान सभा में विधायक बने और नेता प्रतिपक्ष चुने गए। वर्ष 1998 में दोबारा चुनाव जीते और भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने।

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वर्ष 2007 में भाजपा सरकार में वन, पर्यावरण एवं संसदीय मामलों के मंत्री रहे। इसके बाद जेपी को वर्ष 2011 में भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव चुना गया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में संगठन का कामकाज संभाला। वर्ष 2014 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश का प्रभार मिला और पार्टी को 60 से ज्यादा सीटों पर जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

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पीएम मोदी और अमित शाह के सबसे विश्वासपात्र

जगत प्रकाश नड्डा कुशल रणनीतिकार माने जाते हैं। उनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का सबसे बड़ा विश्वासपात्र माना जाता है। भाजपा संसदीय बोर्ड चाहता था कि सांगठनिक चुनाव होने तक शाह पार्टी अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालते रहे, लेकिन उन्होंने संसदीय बोर्ड में कार्यकारी अध्यक्ष का प्रस्ताव दिया। उनका प्रस्ताव था कि सरकार के कामकाज की व्यस्तताओं के कारण पार्टी के दैनिक कामकाज के लिए कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाए। अमित शाह ने ही जेपी का नाम कार्यकारी अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया था। 20 जनवरी, 2020 को जेपी नड्डा औपचारिक रूप से भाजपा के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए।

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नड्डा के नेतृत्व में आगे बढ़ रही भाजपा

वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों की रिक्त सीटों पर हुए उपचुनाव में नड्डा के नेतृत्व में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। इसके अलावा बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही शानदार जीत दर्ज करते हुए एक बार फिर से गठबंधन की सरकार बनाई। असम और बंगाल चुनाव भी भाजपा के लिए ऐतिहासिक रहे। असम में जहां पार्टी ने लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाई, वहीं पश्चिम बंगाल में 70 से भी ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करते हुए विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल है।

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