जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अब महाजन, खत्री व सिखों को कृषि भूमि खरीदने-बेचने का दिया अधिकार

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में एलजी प्रशासन ने बड़ा फैसला करते हुए महाजन, खत्री व सिखों को कृषि भूमि खरीदने-बेचने का अधिकार दे दिया है। साथ ही कृषि, बागवानी और अन्य संबंधित सेक्टर को सभी समुदाय के लिए खोलने का फैसला किया है। इसके लिए कानून में बदलाव किया जाना है। बता दें कि राज्य प्रशासन के इस फैसले से लगभग 17 लाख स्थानीय लोगों को फायदा पहुंचेगा। महाजन, खत्री व सिख तीनों ही समुदायों की ओर से पिछले लंबे समय से अधिकार दिए जाने की मांग की जा रही थी, जिसे अब पूरा किया जा रहा है।

20 कनाल कृषि व 80 कनाल बागवानी के लिए बेच सकेंगे

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में फैसला किया गया कि कृषि से जुड़े लोग अपनी जमीन गैर-कृषक को हस्तांतरित कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए संबंधित डीसी से सशर्त अनुमति लेनी होगी। डीसी 20 कनाल जमीन कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए बेचने की अनुमति दे सकेंगे। साथ ही 80 कनाल जमीन बागवानी के लिए बेची जा सकेगी। नये नियमों के बाद जमीन बेचने का आवेदन करने के 30 दिनों के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करना होगा।

आपको जानकारी के लिए बता दें ​कि जम्मू-कश्मीर में कृषि व उससे संबंधित क्षेत्रों में काफी संभावनाएं हैं, जिसके लिए अमूमन 80 कनाल तक जमीन की जरूरत होती है। राज्य प्रशासन के इस फैसले से गैर कृषकों को कृषि व उससे संबद्ध गतिविधियों के लिए जमीन लेने का अवसर मिल सकेगा। साथ ही इससे कृषि, बागवानी और पशुपालन क्षेत्र में निवेश की भी संभावनाएं बढ़ेंगी। उम्मीद की जा रही है कि इससे कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार आएगा। इसके अलावा यह फैसला आर्थिक विकास और रोजगार के नए द्वार भी खोलेगा।

ऐसे समझे क्या है पूरा मामला?

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म होने के बाद जमीन खरीद के लिए नए नियम बनाए गए। इसमें यह सुनिश्चित किया गया कि कृषि भूमि किसानों के हाथ में ही रहे। 26 अक्टूबर, 2020 को लागू नए कानून में यह साफ कर दिया गया कि खेती से जुड़े लोग ही खेती की जमीन खरीद सकते हैं और अन्य नहीं। जमीन खरीदने वाले व्यक्ति को यह स्पष्ट करना होगा कि खेती की जमीन का उपयोग केवल कृषि कार्य के लिए ही होगा।

इन नियमों के तहत महाजन, खत्री व सिख कृषि भूमि नहीं खरीद सकते, क्योंकि उनके पूर्वज खेती नहीं करते थे। महाराजा हरि सिंह के समय से जम्मू-कश्मीर में भूमि राजस्व कानून में यह स्पष्ट था कि केवल किसान ही कृषि जमीन खरीद सकते हैं। हालांकि तब महाजन, खत्री व सिखों का कृषि से कोई लेना-देना नहीं था। बाद में भी यह कानून लागू रहा, पर खेती की जमीन की खरीद-बेचना होता रहा। साल 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद नया कानून लागू हुआ। इसमें भी फिर उसी शर्त का उल्लेख रहा।

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