एक अनपढ़ महिला द्वारा पांच करोड़ का बिजनेस खड़ा करने की प्रेरणास्पद कहानी

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कड़ी मेहनत, लगन और जज्बा से हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। सफलता के रास्ते में आने वाली परेशानियों से झूझने की क्षमता है तो एक दिन लक्ष्य की प्राप्ति होना निश्चित है। ऐसा ही एक बड़ा कमाल कर दिखाया है राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ में रहने वाली एक अनपढ़ और गरीब महिला कृष्णा यादव ने। कृष्णा ने वर्षों पहले गरीबी के चलते उत्तर प्रदेश से पति के साथ दिल्ली आकर एक छोटे से कमरे में अचार बनाने का काम शुरु किया था। अब कृष्णा 100 से भी महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। अचार बेचकर वह 5 करोड़ का बिजनेस खड़ा कर चुकी है। कृष्णा यादव की कहानी अब लोगों के लिए प्रेरणास्पद बन गई है।

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अब 4 लघु इकाइयां चलाती हैं कृष्णा यादव

कृष्णा यादव आज अचार उत्पादन की 4 लघु इकाइयां सफलता पूर्वक चला रही हैं, जिनमें अचार से जुड़े 152 उत्पाद तैयार किए जा रहे है। वे ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ के नाम से अपनी कंपनी का अचार बेचती है। इस कंपनी की मालकिन कृष्णा को यह सफलता आसानी से नहीं मिली है। इसके लिए उन्होंने काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इस दौरान उनकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए। लेकिन वह लगातार इनका सामना कर कठिन परिश्रम में लगी रही और आखिर कृष्णा सफल बिजनेसवीमन बन गई।

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मित्र से 500 रुपये उधार लेकर दिल्ली पहुंचा परिवार

करीब 23 साल पहले कृष्णा यादव का परिवार दिल्ली आया था। वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर की रहने वाली हैं। वर्ष 1995-96 में उनका परिवार बड़ी आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था। कृष्णा के बेरोजगार पति गोवर्धन यादव इससे मानसिक रूप से बेहद परेशान हो चुके थे। लेकिन यह कृष्णा यादव की दृढ़ता और साहस ही था जिसके दम पर परिवार मुश्किलातों का डटकर सामना कर सका। इनके परिवार ने अपने एक मित्र से 500 रुपये उधार लिए और परिवार समेत ये दिल्ली चले आए। शुरुआत में इनके पति गोवर्धन यादव को दिल्ली में कोई काम नहीं मिला तो उसने थोड़ी सी जमीन बटाई पर लेकर उस पर सब्जी पैदा करना शुरू कर दिया था।

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2001 में 3 महीने का प्रशिक्षण लेकर शुरु किया कारोबार

जब कृष्णा यादव और इनके पति को सब्जी से सभी अच्छे दाम नहीं मिल रहे थे तो इन्होंने 2001 में कृषि विज्ञान केन्द्र उजवा में खाद्य प्रसंस्करण तकनीक का 3 महीने का प्रशिक्षण लिया और अपने खेत की सब्जी से ही अचार बनाना शुरू कर दिया। मात्र तीन हजार रुपये के शुरुआती निवेश पर कृष्णा ने 100 किलो करौंदे का अचार और पांच किलो मिर्च का अचार तैयार किया। इसे कृष्णा यादव ने बाजार में बेचकर 5250 रुपए का मुनाफ़ा कमाया। इसके बाद इन्होंने अचार बनाने का काम शुरू कर दिया, लेकिन मार्केटिंग की समस्या नज़र आई। ऐसे में कृष्णा ने खुद के स्तर पर मार्केटिंग करना शुरू किया और अपना अचार सड़क पर ही बेचने लगी। गुणवत्ता अच्छी होने के कारण इनके अचार की बहुत जल्दी डिमांड आने लगी। कुछ साल में ही कृष्णा का अचार इतना प्रसिद्ध हुआ कि आज कृष्णा यादव ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ नाम की एक अचार कंपनी की मालकिन हैं। इनका करोबार अब पांच करोड़ से भी ज्यादा का हो चुका है।

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कभी स्कूल नहीं गई लेकिन आज लेक्चर के लिए आता है बुलावा

गरीब परिवार में पैदा हुई और व्याही कृष्णा यादव कभी भी स्कूल नहीं जा सकी लेकिन आज उनको दिल्ली के स्कूलों में खास तौर पर बच्चों को लेक्चर देने के लिए बुलाया जाता है। कृष्ण अब हालांकि अब नाम लिखना सीख गई है लेकिन वे अचार से राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच गई है। कृष्‍णा को 8 मार्च, 2016 को भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से 2015 में नारी शक्ति सम्मान के लिए चुना गया। 2014 में हरियाणा सरकार ने कृष्‍णा यादव को इनोवेटिव आइडिया के लिए राज्य की पहली चैंपियन किसान महिला अवार्ड से सम्मानित किया।

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2013 में वाइब्रंट गुजरात सम्मेलन में उस समय वहां के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी ने उन्हें किसान सम्मान के रूप में 51 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया था। 2010 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने भी एक कार्यक्रम के तहत कृष्‍णा यादव को बुलाकर उनकी सफलता की कहानी सुनी थी। कृष्णा यादव को आईसीएआर की ओर एनजी रंगा कृषि अवार्ड से वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी इनको सम्मानित कर चुके हैं। पूर्व कृषि मंत्री शरद पंवार के हाथों इन्हें चैंपियन अवार्ड मिला। इसके साथ कृष्णा को पंजाब यूनिवर्सिटी ने अवार्ड से सम्मानिक किया है।

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