बीएचयू में कोरोना की आयुर्वेदिक दवाओं के ट्रायल में मरीजों पर आए अच्छे परिणाम

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कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने महामारी के इस दौर में लोगों को कई बार महत्वपूर्ण सलाह दी है। योग गुरु बाबा रामदेव की आयुर्वेद दवा कंपनी ने भी कोरोना के दौर में इम्यूनिटी बूस्टर के तौर ‘कोरोनिल’ लॉन्च की। अब काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानि बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज को लेकर आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल पूरा कर लिया गया है। अस्पतालों में भर्ती 160 मरीजों और होम आइसोलेशन में रहने वाले करीब 1200 संक्रमित मरीजों, उनके परिजनों को दी गई दवा से रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रही, वहीं उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन भी सही रहा। ट्रायल के परिणाम के बाद शोध में लगी टीम ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इसे नियमानुसार अन्य मरीजों के लिए शुरू करने की बात कही है।

कोरोना पर अगस्त 2020 से चल रहा शोध अब पूरा हुआ

रेडक्रॉस सोसायटी, जिला प्रशासन के सहयोग से पिछले कोरोना काल से चल रहे शोध में कोरोना संक्रमित मरीजों और उनके परिवारजनों को सुंठी चूर्ण सहित अन्य आयुर्वेदिक औषधियां दी गई थीं। उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। बीएचयू आयुर्वेद संकाय के वैद्य सुशील कुमार दुबे ने बताया कि अजीत प्रसाद महापात्र के नेतृत्व में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. आर एन चौरसिया, ईएनटी से डॉ. विश्वम्भर एवं आईआईटी बीएचयू से डॉ. सुनील मिश्र की टीम द्वारा अगस्त 2020 से किया जा रहा शोध अब पूरा हो गया है।

शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित कराने का निर्णय

बीएचयू में आयुर्वेदिक दवाओं का कोरोना मरीजों पर शोध पूरा होने के बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह में बीएचयू आयुर्वेद संकाय के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर वाईबी त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई बैठक में शोध के निष्कर्षों और सफलता पर चर्चा की गई थी। इसमें शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित कराने के निर्णय के साथ ही इससे जिलाधिकारी को अवगत कराने का फैसला भी हुआ। इसके बाद वैद्य सुशील दुबे की सलाह पर डीएम को भेजे पत्र में प्रो. वाईबी त्रिपाठी ने एलोपैथ की तरह ही आयुर्वेद की दवा से मरीजों का उपचार करने का सुझाव दिया है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद संकाय के वैद्य सुशील दुबे ने बताया कि जिस प्रकार आधुनिक चिकित्सा में कोरोना काल में लक्षण के आधार पर मरीजों को दवा दी जा रही है। उसी प्रकार आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी लक्षण के आधार पर इलाज करने का अधिकार है। यदि दोनों पद्धतियों को मिलाकर कोरोना मरीजों का इलाज किया जाए तो बेहतर परिणाम मिल सकता है। डीएम को भेजे पत्र में भी यही सलाह दी गई।

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