वो अंपायर जिनकी क्यूटनेस के कारण लड़कियों ने भी क्रिकेट देखना शुरू कर दिया था

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आज क्रिकेट जितना बदला है उतना ही ग्लैमरस भी हुआ है और विराट कोहली, एबी डीविलियर्स जैसे हैंडसम क्रिकेटर्स की वजह से लड़कियों की भी इस खेल में दिलचस्पी बढ़ी है। खैर किसी समय मैदान पर एक ऐसा अंपायर हुआ करता था जिसे लड़कियां ‘ही इज़ सो क्यूट’ कहकर बुलाती थी। वो अंपायर कोई सिक्स पैक एब्स वाला लंबा चौड़ा खिलाड़ी नहीं था बल्कि किसी सफेद बड़े गुड्डे जैसा मैदान पर खड़ा रहता था और उसके चेहरे पर हरदम एक मुस्कान रहती थी। जी हां उस अंपायर का नाम था डेविड शैपर्ड। भूले तो नहीं ना! ये वही शैपर्ड है जो 111, 222, 333 रन बनते ही पैर उठाकर टोटके करना शुरू कर देते थे। आज ही के दिन अंपायर डेविड शैपर्ड का जन्म हुआ था। कैंसर के कारण 9 साल पहले उनकी मौत हो गई थी।

डेविड शैपर्ड 90 के दशक में पैदा हुए बच्चों को खूब याद आते रहेंगे। मैदान पर भारी भरकम शरीर के साथ पूरे दिन मुस्कुराहट के साथ अंपायरिंग करने वाले शैपर्ड ने कभी अपनी जिंदगी में कोई गलत फैसला नहीं लिया था और इसलिए उन्हें सबसे सम्मानजनक अंपायर का खिताब हासिल हुआ था।

अंधविश्वास में खूब करते थे विश्वास

डेविड काफी अंधविश्वासी थे और इसका जीता जागता प्रमाण मैदान पर भी दिखता था। जब भी कोई टीम या खिलाड़ी 111, 222, 333 रन बनाती थी तो शैपर्ड डांस करने लग जाते थे ।

 

उनका मानना था कि ये सभी नंबर अनलकी होते हैं। शैपर्ड तब तक अपने पैर उठाकर उन्हें हवा में लहराते रहते थे जब तक कि स्कोर उससे आगे ना बढ़े। क्रिकेट में इन नंबरों को नेल्सन स्कोर कहा जाता है। एक बार भारत में अंपायरिंग करने आए शैपर्ड को होटल में 111 नंबर का कमरा दिया गया तो उन्होंने उसे लेने से मना कर दिया।

13 तारीख और शुक्रवार

यदि किसी 13 तारीख को शुक्रवार का दिन पड़ गया तो शैपर्ड उस दिन अपनी एक उंगली पर माचिस की तिल्ली बांध लेते थे। उनका मानना था ऐसा करने से गुडलक आता है।

पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने नहीं किया अच्छा व्यवहार

शैपर्ड को जहां दुनियाभर के क्रिकेटर्स चाहते थे तो वहीं पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने कई बार उनसे बद्तमीजी की और उन्हें गालियां भी दी।

 

2003 के विश्वकप के दौरान भारत-पाक मैच में जब सचिन तेंदुलकर और वीरेन्द्र सहवाग आफरीदी को लूट रहे थे तो शैपर्ड के एक फैसले पर आफरीदी झल्ला गए और उन्हें गालियां देने लगे। इसके बाद आईसीसी ने आफरीदी पर एक मैच का प्रतिबंध भी लगा दिया था।

आईसीसी ने की थी ये विशेष पेशकश

अपने 20 साल के अंपायरिंग कॅरिअर में शैपर्ड ने 92 टेस्ट, 172 वनडे मैचों में अंपायरिंग की और शायद ही कभी कोई गलत फैसला दिया हो।

शैपर्ड अंपायरिंग से विदा लेने का मन बना रहे थे तो उन्होंने आईसीसी को बताया। साल 2005 का समय था और इंग्लैंड में एशेज सीरीज खेली जानी थी। आईसीसी ने शैपर्ड से कहा आप रुक जाइये आपकी विदाई को भव्य बनाया जाएगा। लेकिन शैपर्ड नहीं माने और अपने परिवार वालों के पास लौट गए।

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