योगीराज बना जंगलराज, पिछले 9 सालों में गाय के नाम पर हुई सबसे ज्यादा हत्याएं

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और योगी आदित्यनाथ मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में आए थे, तब से लेकर सबसे अधिक आबादी वाले इस राज्य में गायों से संबंधित हिंसा के 69% मामले दर्ज किए गए हैं।

2018 में हुए 21 हमलों में चार मौत होने के मामले सामने आए। इन मामलों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ से 45 वर्षीय कासिम कुरैशी की लिंचिंग के दौरान मौत, उत्तर प्रदेश के बरेली में 20 वर्षीय शाहरुख खान और अब ताजा मामले में पुलिस निरीक्षक सुबोध कुमार की हत्या के बाद गायों को लेकर होने वाली नफरत भरी हिंसा के लिए किसी अन्य राज्य की तुलना में उत्तर प्रदेश सबसे खतरनाक राज्यों में शुमार हो गया है। 2017 में, पश्चिम बंगाल में ऐसी ही हिंसा के मामलों में पांच लोगों की मौत दर्ज की गई थी।

मार्च 2017 से पहले, जब योगी आदित्यनाथ सत्ता में आए, यूपी में ऐसी हिंसा की पांच घटनाएं दर्ज की गई थी लेकिन उसके बाद, 3 दिसंबर 2018 तक, राज्य में ऐसे 11 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

ताजा घटना के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में सुबोध कुमार सिंह की गाय को लेकर फैली हिंसा के दौरान सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके अलावा भीड़ में फैली हिंसा के दौरान वहां मौजूद 20 वर्षीय सुमित नाम के कॉलेज छात्र की भी गोली लगने से मौत हो गई।

सुबोध कुमार सिंह, नवंबर 2015 में वाराणसी में ट्रांसफर होने से पहले पश्चिमी यूपी के दादरी में मोहम्मद अखलाक की हत्या के मामले में जांच अधिकारी थे। डेटाबेस के अनुसार 2010 से यूपी में हुई अखलाक की हत्या गौ रक्षा के नाम हुई पहली हिंसा की घटना थी।

अख्खाक के परिवार और अन्य दुर्घटनाग्रस्त पीड़ितों के वकील का कहना है कि अखलाक लिंचिंग मामले की जांच में सिंह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। वह सिंह ही थे जिन्होंने प्राथमिकी दर्ज की, उसके बाद कुछ लोगों को गिरफ्तार किया और मांस के नमूने को परीक्षण के लिए भेजा, जिसने पुष्टि की कि वह गौमांस नहीं था।

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200 मिलियन से अधिक लोगों के साथ भारत का सबसे बड़ा राज्य यूपी देश की आबादी का 16% है। 2018 में, राज्य में गाय-संरक्षण के नाम पर 40% मौतें हुई।

गौ रक्षा को लेकर हमले घातक हो रहे हैं

कई तरह के डेटा से पता चलता है कि गाय संरक्षण के नाम पर होने वाले हमले हर दिन घातक होते जा रहे हैं। इसके अलावा एक खास बात यह भी है कि इस तरह की हिंसा में मारे गए 86% मुसलमान हैं, जो भारत की आबादी का 14% हिस्सा है।

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