एक ‘परवाह’ ही बताती है कि आपको अपनों का कितना ‘खयाल’ है

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हमारी जिंदगी खूबसूरत रिश्तों से बनती है। यदि हमारे आस पास विभिन्न तरह के रिश्ते नहीं होते तो हमारे जीवन में एक अजीब सा खालीपन होता। रिश्तों का यही ताना बाना हमें असल मायनों में जिंदगी को जीना सीखाता है। लेकिन कई बार हम अपने काम काज में इतने व्यस्त रहते हैं कि रिश्तों की परवाह करना ही छोड़ देते हैं। रिश्ते रहते तो हैं लेकिन उन्हें हम समय के साथ सींचना छोड़ देते हैं, जिससे वे मुरझाने लगते हैं और कई बार सूख भी जाते हैं। ऐसे में​ रिश्तों में मिठास बनाए रखना भी एक अहम काम है जो अक्सर हम अपनी व्यस्ताओं में भूल जाते हैं।

‘परवाह’ रिश्तों में जान डालने वाली एक अहम चीज है। दरअसल परवाह करने का अर्थ होता है अपने लोगों की ओर ध्यान देना। हमारे आस पास मौजूद लोग हमारी प्राथमिकता नहीं होते क्योंकि हमें यही लगता है कि वे तो हमारी जिंदगी का ही हिस्सा हैं, वे कहां जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं होता मानव स्वभाव के अनुसार हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसे तवज्जो ​दी जाए। जब आप अपने लोगों की छोटी-छोटी बातों की भी परवाह करते हैं तो उनके दिल में आपके लिए प्यार बना रहता है। वे लोग भी निश्चिंत होकर यह सोच सकते हैं कि कोई है जो उनकी परवाह करता है। जब यह भाव किसी के भी दिल में होता है तो वह ना सिर्फ खुश रहता है बल्कि स्वस्थ्य भी रहता है। यानी आप यदि किसी की परवाह करते हैं तो बदले में उसे बहुत सारी खुशियां देते हैं, जो उसके लिए किसी इनाम से कम नहीं।

‘परवाह’ एक तरह से इस बात का पैमाना है कि आप अपने करीबी लोगों का कितना खयाल रखते हैं। दरअसल रिश्तों में किसी तरह का तराजू नहीं होता जो यह तोल सके कि कौन कितना अच्छा है। इस बात का पता ​’परवाह’ से लगता है। जब आप अपनों की परवाह करते हैं तो अपने आप ही आपके नम्बर दूसरों की तुलना में बढ़ जाते हैं। हर करीबी चाहता है कि कोई उसके लिए भी सोचे, उसकी भावनाओं का ध्यान रखे और जब आप यह काम उनके लिए करते हैं तो यकीनन आपसे अच्छा उनके लिए कोई नहीं।

अपनी जिंदगी में व्यस्त रहिए, अपने विकास के लिए काम करिए लेकिन साथ ही अपनों की ‘परवाह’ करना मत छोड़िए। उन्हें भी अहसास दिलाइए कि कोई है जो उनका ‘खयाल’ रखता है।

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