आजादपुर मंडी : एशिया का सबसे बड़ा थोक बाजार जहां से रोज पाकिस्तान जाते हैं सैकड़ों ट्रक टमाटर

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पुलवामा हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर पिछले कई दिनों से चल रही है। जहां दोनों देश राजनीतिक लेवल पर एक दूसरे को जवाब दे रहे हैं वहीं अब भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों में भी खटास पड़नी शुरू हो गई है। जी हां, जैसा कि हम जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही एक दूसरे से कई सामान खरीदते-बेचते हैं। पुलवामा हमले के बाद अब सड़क से जाने वाले कई जरूरी सामानों में कमी देखने को मिली है।

इसका सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान को सबसे ज्यादा फल-सब्जियां बेचने वाली “आजादपुर मंडी” में देखने को मिला है। मंडी के व्यापारियों ने आपसी सहमति से पाकिस्तान को माल नहीं भेजने का फैसला किया है। बताया जाता है कि आजादपुर मंडी से औसतन रोज 75 से 100 ट्रक टमाटर की सप्पलाई पाकिस्तान को की जाती है।

टमाटर के अलावा और भी कई सब्जियों के भाव पाकिस्तान में आसमान छूने जैसी खबरे सामने आ रही है। इन सब के बीच आजादपुर मंडी एक बार फिर चर्चा में है। क्या आप जानते हैं दिल्ली की आजादपुर मंडी को क्यों एशिया का सबसे बड़ा थोक बाजार कहा जाता है, नहीं, तो आइए बताते हैं।

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आजादपुर मंडी फलों और सब्जियों के लिए एशिया का सबसे बड़ा थोक बाजार माना जाता है। हर दिन यहां हजारों ट्रक देश भर में हुए फल और सब्जियां भर कर लाते हैं, यहां की सलाना आवक लाखों टन में होती है।

मंडी में फैली होती है हर किस्म की महक

मंडी में घुसते ही जहां आपको कहीं कोलकाता से आए नारंगी कद्दू किसी स्टाल पर सजे मिल जाएंगे तो दूसरी तरफ पीले नींबू और हरी मिर्च का कुछ अलग ही कोलाज बना हुआ मिलेगा। मंडी के हर हिस्से में अलग महक आती है।

आज़ादपुर मंडी दिल्ली की फूड चैन की सबसे अहम कड़ी है। मंडी ही वह जगह है जहां से शहर को सभी तरह के विटामिन पहुंचाए जाते हैं। यहां हर दिन सैकड़ों करोड़ रुपये के लेन-देन होते हैं। नीलामी और लेनदेन की प्रक्रिया रात में भी चालू रहती है।

कैसे किसान अपना माल बेचते हैं ?

यहां किसानों को अपना माल बेचने के लिए नीलामी की प्रक्रिया में शामिल होना होता है। नीलामी के बाद किसानों को एक बिल तैयार करके दिया जाता है। जिसमें पहले से ही ट्रांसपोर्टेशन और एजेंट अपना कमीशन काट लेते हैं।

अब ये एजेंट वाला क्या खेल होता है यहां ?

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किसान अपना माल मंडी में सबसे पहले कमीशन एजेंट या बिचौलियों (मिडिलमैन) के पास लाते हैं, जो अपने आसपास के खरीदारों को बुलाकर एक कीमत तय करके नीलामी करते हैं। कमीशन एजेंट भाव की सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को सौंपने से पहले किसान से बात करता है। यदि डील हो जाती है तो किसान 6% कमीशन एजेंट को चुकाता है। कमीशन एजेंट अच्छी कीमत पाने के लिए कई ट्रिक्स का भी इस्तेमाल करते हैं।

कीमत तय कैसे होती है ?

कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) आजादपुर मंडी को ऑपरेट करती है। इसके कर्मचारी प्रत्येक शेड में नीलामी की निगरानी करते हैं और हर एक वस्तु के लिए फाइनल प्राइस नोट करते हैं। इसके बाद वो हर वस्तु के लिए दिन की ‘मॉडल रेट’ तय करते हैं। एपीएमसी को चलाने के लिए मंडी के व्यापारी किराया देते हैं। यह हर लेनदेन के बिक्री का 1% वसूला जाता है।

पल्लेदार है आजादपुर मंडी की जान

आजादपुर मंडी न तो कभी सोती है और न ही कभी रूकती है। यहां हजारों मजदूर काम करते हैं जिनकी शिफ्ट या पाली तय होती है। उन्हें वहां पल्लेदार भी कहा जाता है। वे गोदामों और ऑफिसों में काम करते हैं। मंडी में ज्यादातर मजदूर यूपी और बिहार के हैं। माल को संभालना और छांटना ये सब काम पल्लेदार करते हैं।

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