पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के साथ गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ: कांग्रेस नेता शर्मा

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पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने हाल में तारीखों का ऐलान कर दिया। राज्य में आठ चरणों में चुनााव को लेकर कांग्रेस और टीएमसी विरोध जता चुकी है। वहीं, पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले कांग्रेस में दो वरिष्ठ नेताओं के बीच टकराव होता दिख रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के हालिया बयान के बाद पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने उन पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। दरअसल, आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का इंडियन सेक्युलर फ्रंट यानि आईएसएफ के साथ गठबंधन की आलोचना की थी।

पार्टी सांप्रदायिकता की लड़ाई में चयनात्मक नहीं हो सकती

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व वाले आईएसएफ के साथ अपनी पार्टी के नये गठजोड़ की आलोचना करते हुए कहा कि यह पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।’ उन्होंने कहा, ‘पार्टी सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। शर्मा ने आगे कहा कि ISF जैसी कट्टरपंथी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी और उसे कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) द्वारा अनुमोदित होना चाहिए था।’

संयुक्त रैली में भाग लेने के लिए अधीर से मांगा स्पष्टीकरण

आनंद शर्मा ने हाल में कोलकाता में हुई संयुक्त रैली में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी से स्पष्टीकरण मांगा, जहां आईएसएफ नेता मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी उपस्थिति और समर्थन कष्टदायक और शर्मनाक थी। हालांकि, अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने स्वयं से निर्णय नहीं किया है। सीडब्ल्यूसी पार्टी का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है जो पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले लेता है। जानकारी के लिए बता दें कि आनंद शर्मा सीडब्ल्यूसी के सदस्य और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता हैं।

कई सीटों पर ख़ासा प्रभाव रखती हैं फुरफुरा शरीफ

गौरतलब है कि आईएसएफ के फाउंडर और प्रमुख अब्बास सिद्दीकी फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा हैं और पश्चिम बंगाल की राजनीति में अपना ख़ासा प्रभाव रखते हैं। इस बार उन्होंने चुनाव मैदान में खुद की पार्टी उतारने का फैसला किया है। पश्चिम बंगाल में करीब 30 फीसदी मुस्लिम आबादी निवास करती है। फुरफुरा दरगाह का असर करीब सौ सीटों पर माना जाता है। हालांकि, अब्बास सिद्दीकी अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं।

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