इंडिया हारा नहीं है, जब तक दुती चंद जैसे खिलाड़ी अपना सबकुछ लगा रहे हैं!

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क्रिकेट, क्रिकेट, क्रिकेट। इस खेल ने इंडिया में कई लोगों की रातों की नींद गायब की है। इंग्लैंड में वर्ल्डकप चल रहा है। कल यानि बुधवार को भारत और न्यूजीलैंड के बीच पहला सेमीफाइनल खेला गया। मैच मंगलवार को शुरू हुआ जो बारिश के चलते बुधवार तक चला गया। पूरा देश दुआ में लगा हुआ था कि रोहित, कोहली संभाल लेंगे बहरहाल भारत न्यूजीलैंड से हार गया। कई उम्मीदों को निराशा हुई। सोशल मीडिया पर गम की बाढ़ आ गई।

ये स्टोरी इंडिया के बारे में तो है पर हमें “दुख” है कि क्रिकेट के बारे में नहीं है। क्रिकेट के क्रेज के तले कुछ और भी है जो हमेशा दब जाता है। भारत के मेन्स भले ही वर्ल्ड कप से बाहर हो चुके हैं लेकिन एक वुमन है जिसने इंडिया का परचम पूरे विश्व के सामने लहराया।

दुती चंद। उम्र 23 साल। इंडियन स्प्रिंटर यानि धाविका। क्या किया है? इटली में चल रहे वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड मेडल जीत इतिहास रच दिया। दुती ने 30वें समर यूनिवर्सिटी गेम्स में 100 मीटर कॉम्पिटिशन का गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। ऐसा करने वाली वो पहली इंडियन महिला हैं।

चंद को गोल्ड जीता अपनी रेस 11.32 सेकंड में पूरी करने पर। लेन नंबर 4 पर दौड़ते हुए ये कारनामा कर दिखाया। स्विट्जरलैंड की अजला डेल पोंटे 11.33 सैकंड के साथ दूसरे नंबर पर रहीं।

दुती चंद ने ये कारनाम तब करके दिखाया जब उनकी पर्सनल लाइफ में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। वह अब हेमा दास के बाद एक ग्लोबल प्लेटफोर्म पर गोल्ड जीतने वाली दूसरी भारतीय धावक बन गई हैं। दुती चंद ने पिछले साल इंटरनेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर में पहला स्थान हासिल किया था।

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यह पहली बार नहीं है जब दुती चांद ने इतिहास रचा है। मई में दुती चंद ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वो गे हैं। सार्वजनिक रूप से अपनी आइडेंटिटी के साथ सामने आने वाली वो पहली भारतीय एथलीट हैं। कई लोगों ने दुती चंद के इस साहस को सराहा वहीं उन्हें इस पर कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ा।

दुती चंद ने कहा था कि मुझे कोई ऐसा व्यक्ति मिला है जो मेरी आत्मा है। मेरा मानना है कि हर किसी को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वे जिसके साथ चाहें उसके साथ रहें। मैंने हमेशा उन लोगों के अधिकारों का समर्थन किया है जो सेम-सेक्स संबंध में रहना चाहते हैं। यह एक व्यक्ति की पसंद है।

इसके बाद कई लोगों ने दुती चंद का साथ दिया, वहीं उनके गांव, उनके परिवार से उन्हें विरोध झेलना पड़ा। दुती चंद ने सभी के सामने इसलिए अपनी सच्चाई बयां की थी कि उसकी बहन उनके इस रिश्ते के खिलाफ थीं और दुती को धमकी मिली थी कि वो सार्वजनिक रूप से इसके बारे में कुछ ना कहे। दुती को घर वालों से भी विरोध का सामना करना पड़ा। मगर दुती चंद कहां रुकने वाली थी, वो डटी रहीं।

दुती की जिंदगी चुनौतियों से भरी पड़ी है। हाइपरएस्ट्रोजन के लक्षणों के बाद उनको लिंग टेस्ट से गुजरना पड़ा जिसके बाद दुती ने एक कानूनी जंग भी जीती। एक दिन पहले मंगलवार को उन्हें कॉस्मोपॉलिटन इंडिया के कवर पेज पर जगह दी गई।

2018 एशियाई खेलों में दो सिल्वर जीतने वाली दुती ने जून में पीटीआई को बताया था कि खुद की सच्चाई पब्लिकली बताने के बाद वो अंदर से प्रभावित हुईं और कई दिनों तक ठीक से ट्रैनिंग नहीं ले पाईं। उन्होंने कहा था कि मेरी ट्रेनिंग शुरू में बहुत परेशान भरी रही। मैंने पहले ही सबको बता दिया था कि मेरी बहन ने मुझे कितना डिप्रेशन दिया है। मैं उसके बाद कम से कम 10-15 दिनों के लिए ठीक से ट्रे​निंग नहीं कर सकी। लेकिन अब, मैं सब कुछ भूलकर अपने ट्रेनिंग पर वापस जाने लगी हूँ।

तो दिल थाम कर बैठिए। दुती चंद ने पूरे विश्व के सामने इतिहास रचा है और हम सभी को गर्व होना चाहिए। क्रिकेट ही सबकुछ थोड़ी है। दूसरे स्पोर्ट्स पर भी लोग इंडिया के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। दुती चंद उन्हीं प्लेयर्स में से एक है। वेल डन दुती। बहरहाल दुती चंद के कारनामे पर सोशल मीडिया पर उतनी खुशी दिख नहीं रही। सिस्टम का क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों पर रूझान के बारे में अलग से चर्चा की जा सकती है।

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