विंटर सीजन : वि​टामिन डी सप्लीमेंट्स ना लें इसकी जगह 20 मिनिट धूप में रहें

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हर समय थका-थका महसूस करते हैं? हाथ-पैर बेजान लगते हैं? तेजी से बाल झड़ने की समस्या सामने आ रही है? अगर हां तो सर्दियों का भरपूर आनंद उठाइए और हर दूसरे दिन धूप सेंकना शुरू कर दीजिए। हो सकता है आप विटामिन-डी की कमी से जूझ रहे हैं। डॉक्टर स्टीवन लिन के नेतृत्व में हुए ब्रिटिश स्वास्थ्य सेवा के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट का स्तर नियंत्रित रखने के साथ ही उनके इस्तेमाल की क्षमता निर्धारित करने के लिए भी अहम माना जाता है। हड्डियों, मांसपेशियों और दांतों को मजबूती प्रदान करने के साथ ही यह रोगों से लड़ने की ताकत भी बढ़ाता है। यही वजह है कि इसकी कमी से व्यक्ति को न सिर्फ जल्दी-जल्दी सर्दी-जुकाम-बुखार होने की शिकायत सताती है, बल्कि उसके घाव भी देरी से भरते हैं और हर समय सुस्ती, थकान और कमजोरी का एहसास बना रहता है।

लिन की मानें तो जरूरत से ज्यादा पसीना होना भी विटामिन-डी की कमी का संकेत है। इसके अलावा हाथ-पैर और जोड़ों में लगातार दर्द व ऐंठन महसूस होना भी इसकी खुराक बढ़ाने का इशारा करता है। लंबे समय तक ध्यान न देने पर ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों-मांसपेशियों में क्षरण) की शिकायत पनप सकती है, जो फ्रैक्चर का खतरा बढ़ाती है। उन्होंने विटामिन-डी की जरूरत पूरा करने के लिए दवाएं और सप्लीमेंट लेने के बजाय धूप सेंकने की नसीहत दी। विभिन्न अध्ययनों में सुबह की हल्की धूप को विटामिन-डी का सबसे बेहतरीन प्राकृतिक स्रोत करार दिया गया है।

20 मिनट है काफी

हफ्ते में तीन दिन सुबह-सुबह 20 से 30 मिनट तक धूप सेकने से शरीर के लिए रोजाना जरूरी विटामिन-डी की जरूरत पूरी हो जाती है। बशर्ते आपने सनस्क्रीन नहीं लगाई हो। तेज धूप सेकने से बचें क्योंकि उससे निकलने वाली अल्ट्रावायलट किरणें त्वचा कैंसर का सबब बन सकती हैं।

ज्यादा भी सही नहीं

विटामिन-डी की अति दिल और किडनी की सेहत के लिए घातक है। दरअसल, इससे शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ने लगती है, जो धमनियों में जमकर रक्त प्रवाह में बाधा डालता है। इससे व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने के साथ ही उसकी किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।

कुछ काम की बातें

— कैल्शियम और फॉस्फेट के इस्तेमाल की क्षमता बढ़ाता है विटामिन-डी
— हड्डियों-मांसपेशियों की मजबूती के साथ संक्रमण से बचाव के लिए अहम
— उम्र ढलने के साथ विटामिन-डी पैदा करने की शरीर की क्षमता कमजोर पड़ जाती है, इसलिए 50 पार लोगों में इसकी कमी आम बात है
— मोटापे के शिकार, सांवले लोगों और दिन का अधिकतर समय घर-दफ्तर की चारदीवारी में गुजारने वालों में भी विटामिन-डी कम बनता है
— 15 माइक्रोग्राम विटामिन-डी रोजाना लेने की सलाह दी जाती है स्वस्थ वयस्कों को
20 माइक्रोग्राम तक बढ़ा देनी चाहिए यह मात्रा जीवन का 50वां पड़ाव पार करते ही
धूप से बेहतर कुछ नहीं।
— धूप विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। हालांकि आपको सुबह-सुबह खिली हल्की धूप ही सेंकनी चाहिए।
— पालक, मशरूम, तैलीय मछली, अंडे के पीले भाग, अंकुरित अनाज, संतरे के जूस, दूध, पनीर, चीज और सीरियल्स में भी विटामिन-डी भारी मात्रा में पाया जाता है।
— 50% वैश्विक आबादी में विटामिन-डी की कमी होने का अनुमान है

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