वन नेशन वन इलेक्शन: केजरीवाल, ममता सहित ये नेता इसलिए नहीं होंगे मोदी की मीटिंग में शामिल

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू सहित कई प्रमुख विपक्षी नेता बुधवार को होने वाली पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक में नहीं आएंगे। यह बैठक “वन नेशन, वन इलेक्शन” के विचार सहित कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए है जिसमें 2022 में 75 साल की आजादी का जश्न और इस साल महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर भी चर्चा की जानी है।

कौन कौन नहीं शामिल होगा इस मीटिंग में

ममता बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस)

अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी)

एमके स्टालिन (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम)

चंद्रशेखर राव (तेलंगाना राष्ट्र समिति)

मायावती (बहुजन समाज पार्टी)

चंद्रबाबू नायडू (तेलुगु देशम पार्टी)

केजरीवाल की AAP और KCR की टीआरएस हालांकि मोदी द्वारा बुलाई जा रही पार्टी-बैठक में अपने प्रतिनिधियों को भेज रही हैं। राघव चड्ढा AAP का प्रतिनिधित्व करेंगे वहीं टीआरएस के का प्रतिनिधित्व करेंगे केटी रामाराव।

टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू भी संसद में पीएम द्वारा बुलायी गयी बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं, और जयदेव गल्ला द्वारा टीडीपी का प्रतिनिधित्व किया जाएगा।

इस बीच, राकांपा प्रमुख शरद पवार बैठक के लिए उपस्थित होंगे और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक भी मीटिंग में रहेंगे।

मंगलवार को, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी बैठक से खुद को अलग कर दिया था और सरकार से कहा था कि वह ‘जल्दबाजी’ करने के बजाय ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर एक श्वेत पत्र तैयार करे।

ममता बनर्जी और तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव दोनों ने पिछले हफ्ते नीति आयोग की बैठक को भी छोड़ दिया था, साथ ही 30 मई को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे।

बीजेपी मुख्य रूप से वन नेशन वन इलेक्शन पर चर्चा करना चाहती है। और उनका इस पर तर्क रहता है कि इससे समय और पैसा दोनों की बचत होगी।

“वन नेशन वन इलेक्शन” विचार के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता है जो संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत के बिना नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि संख्या की कमी वाले भाजपा को अन्य दलों को बोर्ड में लाने की आवश्यकता है।

मायावती ने कहा कि बैठक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को लेकर होती तो वे जरूर जातीं। उन्होंने कहा कि बैलट पेपर के बजाय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के माध्यम से चुनाव कराने की जिद लोकतंत्र और देश के संविधान के लिए वास्तविक खतरा है।

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