क्यों भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह को आजकल “बेगूसराय” के डरावने सपने आते हैं ?

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लोकसभा चुनावों में जब से भाजपा ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है तब से एक नेता बड़ा नाराज है और उनका नाम है गिरिराज सिंह, जी हां अपनी बड़बोली बातों और लोगों को पाकिस्तान के टिकट बांटने वाले बीजेपी नेता गिरिराज सिंह को आलाकमान ने बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को कहा है।

नाराजगी की वजह भी यही है कि वो नवादा सीट से मैदान में उतरना चाहते हैं। टिकट मिलने के बाद से ही वो आलाकमान से अपनी नाराजगी जाहिर करने की जुगत में है लेकिन फिलहाल बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का यह आखिरी फैसला है।

नवादा सीट से टिकट कटने को अपने स्वाभिमान पर ठेस लगने की बात करने वाले गिरिराज सिंह के सामने इस बार बेगूसराय से वामपंथी दल भाकपा के युवा नेता कन्हैया कुमार मैदान में हैं जिन्होंने टिकट मिलते ही बेगूसराय में गिरिराज vs कन्हैया की जंग का ऐलान कर दिया है।

कुछ वाजिब कारण भी हैं जिनकी वजह से गिरिराज सिंह बेगूसराय से दूर भाग रहे हैं, आइए एक नजर डालते हैं।

भूमिहार जाति वाला पेंच

बेगूसराय हमेशा से ही भूमिहार जाति के लोगों का गढ़ रहा है। गिरिराज सिंह और लेफ्ट के कन्हैया कुमार दोनों भूमिहार जाति से आते हैं। ऐसे में दोनों के वोटर आपस में बंट जाएंगे। इसके अलावा यहां कोइरी, यादव, मुसलमान और अनुसूचित जाति के लोग भी हैं। भूमिहार वोट टूटने का सीधा फायदा आरजेडी उम्मीदवार तनवीर हसन को होगा जो पिछले लोकसभा चुनावों में नंबर 2 पर रहे थे।

ऐसे में खुद की हार या जीत से ज्यादा डर गिरिराज सिंह को यह सता रहा है कि दो भूमिहारों की लड़ाई में तीसरा कोई बाजी ना मार ले।

कन्हैया की लोकप्रियता

जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के समय से ही कन्हैया भाजपा नेताओं के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं। उन नेताओं में गिरिराज सिंह का नाम भी शामिल है। इसके अलावा अपनी पीएचडी के बाद से कन्हैय़ा बेगूसराय में अपना चुनावी माहौल तैयार कर रहे हैं। इस वजह से कन्हैया कुमार बढ़ती लोकप्रियता का डर भी गिरिराज को खा रहा है।

बेगूसराय का इतिहास और लाल रंग

एक समय था जब बिहार की बेगूसराय की हर गली और मोहल्लों में लाल झंडे दिखाई देते थे। भूमिहार वोटों की ताकत पर यहां 1955 तक बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के सातों विधानसभा सीटों में से पांच पर वामपंथी विधायक चुना गया। इसके अलावा 1967 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से वाई शर्मा पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए।

60 का दशक खत्म होते-होते शोषित भूमिहार तबके के लोगों ने सामंती भूमिहारों के खिलाफ जंग छेड़ दी और बेगूसराय की हवा बदलने लगी। 90 तक आते-आते सीपीआई एकदम कमजोर हो गई और राजद के समर्थन पर टिक गई।

2014 का लोकसभा चुनाव

बेगूसराय लोकसभा सीट पर 17,78,759 वोट हैं जिनमें 8,28,874 पुरुष और 9,49,825 महिलाएं हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा के भोला सिंह जीते जिनके अक्टूबर 2018 में निधन के बाद सीट खाली है।

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