कहां से होती है सरकार को इनकम और कैसे किया जाता है खर्च, 1 रूपये के उदाहरण से समझें

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सरकार ने कल साल 2019 के लिए अंतरिम बजट पेश किया। बजट में किसानों, आम आदमी के लिए कई घोषणाएं की गई जिसके बाद हर किसी को उन घोषणाओं के अब जमीन पर उतरने का बेसब्री से इंतजार है। अंतरिम वित्तमंत्री का बजट भाषण हर किसी ने सुना होगा लेकिन क्या आप तकनीकी तौर पर यह जानते हैं कि सरकार जिन योजनाओं के लिए करोड़ों खर्च का ऐलान करती है वो पैसा कहां से आता है और किस तरह वो खर्च किया जाता है।

आइए तकनीकी पेच को समझाते हुए हम आपको बताते हैं कि सरकार को कहां से आय होती है और उसे किस तरह खर्च किया जाता है।

एक बार के लिए हम सरकार को होने वाली आय को 1 रूपया मान लेते हैं। ऐसे में सरकार को होने वाली प्रत्येक रुपए की आय में से 70 पैसे विभिन्न तरह के टैक्स से आते हैं, वहीं सरकार राज्यों के लिए टैक्स और अन्य कामों की हिस्सेदारी में 23 पैसे खर्च करती है।

वहीं सरकार की आय का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत उधार और अन्य देनदारियों यानि कि ऋण वगैरह से है जो कि 19 पैसे होता है। इसके अलावा, गैर-कर राजस्व से 8 पैसे और केंद्रीय उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) से 7 पैसे सरकार जुटाती है।

वहीं अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बजट पेश करते समय बताया कि 2019-20 के मुताबिक, सरकार द्वारा अर्जित किए गए प्रत्येक रुपये के लिए, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानि GST से प्राप्त होने वाले कलेक्शन में प्रत्येक रुपये के प्रतिशत के रूप में 21 पैसे आंकी गई है, जो कि एक मुश्त में हासिल होने वाला सरकारी राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत है।

अगर कमाई की बात करें तो सरकार विनिवेश जैसे गैर-कर राजस्व से 8 पैसे कमाने का उद्देश्य रखती है, जबकि सरकार गैर-ऋण प्राप्तियों से 3 पैसे जुटाने की योजना रखती है। इसी तरह, कॉर्पोरेशन कर से सरकार ने 21 पैसे हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

अगले वित्त वर्ष के लिए आयकर से हासिल किए जाने वाले पैसे को 17 पैसे कर दिया गया है। सरकार अगले वित्त वर्ष में कस्टम से 4 पैसे कमाएगी। पिछले साल 9 पैसे के रक्षा की ओर आवंटन को इस बार 8 पैसे कर दिया गया है। सेंट्रल सेक्टर स्कीम पर 12 पैसे खर्च किया जाएगा, जबकि सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीम के लिए 9 पैसे आवंटन किए गए हैं। वित्त आयोग और अन्य स्थानान्तरण पर खर्चा 8 पैसे का आंका गया है। इसके अलावा, सब्सिडी और पेंशन पर खर्च क्रमशः 9 पैसे और 5 पैसे होगा। अन्य खर्चों पर सरकार 8 पैसे खर्च करेगी।

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