आर्टिकल 370 पर ‘सुप्रीम’ फैसला, जम्मू-कश्मीर में बरकरार रहेगा केंद्र का फैसला

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SC-Decision-on-Article-370

सर्वोच्च न्यायालय ने आज 11 दिसबंर को जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के वर्ष 2019 के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। यानि केंद्र सरकार का 5 अगस्त, 2019 का फैसला जम्मू-कश्मीर पर बरकरार रहेगा। इसे नहीं बदला जाएगा। आपको बता दें, इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा मिला हुआ था।

पीठ ने सुबह 11 बजे फैसला पढ़ना शुरू किया

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुबह करीब 11 बजे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद के 370 के मामले में फैसला पढ़ना शुरू किया। इस पीठ में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, न्यायाधीश संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं। मालूम हो कि सितंबर माह में लगातार 16 दिनों तक सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पांच जजों के तीन अलग-अलग फैसले, पर सभी एकमत

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पांच जजों के तीन अलग-अलग फैसले हैं। जिन तीन फैसलों को सुनाया जाना है, उस पर सभी एकमत हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है। स्थिति के अनुसार, किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

अनुच्छेद-356 में राष्ट्रपति को शक्तियां हासिल हैं। उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है। संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए। अनुच्छेद-356 राज्य सरकार भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने की बात करता है। राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र, राज्य सरकार की जगह फैसले ले सकता है। यानि संसद राज्य विधानसभा की जगह काम कर सकती है।

अनुच्छेद-370 एक अस्थायी व्यवस्था: चीफ जस्टिस

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस दौरान कहा कि जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए थे, तभी जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी। वह भारत के अधीन हो गया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है। भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊपर है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है।

राष्ट्रपति को अधिसूचना जारी करने की हासिल हैं शक्ति

अनुच्छेद 370 पर पांच जजों की पीठ का फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस ने कहा है कि राज्य में युद्ध के हालातों की वजह से अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी। अनुच्छेद 370 (3) के तहत राष्ट्रपति को यह अधिसूचना जारी करने की शक्ति है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी अनुच्छेद 370 अस्तित्व में रहेगा। राष्ट्रपति के लिए संविधान सभा की सिफारिश बाध्यकारी नहीं थी। जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का उद्देश्य एक अस्थायी निकाय था।

हटने बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश के बाद ही अनुच्छेद 370 पर कोई आदेश जारी करें। अनुच्छेद 370 को निरस्त कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है।

30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि नए परिसीमन के आधार पर जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव करवाएं जाएं। इस संबंध में केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि राज्य में 30 सितंबर, 2024 तक चुनाव सम्पन्न कराएं। एससी ने ये भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिया जाए।

इनके द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का बचाव किया गया?

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच के समक्ष 16 दिनों की सुनवाई के दौरान केंद्र व हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं- हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि और अन्य को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का बचाव करते हुए सुना था।

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने व जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को वर्ष 2019 में एक संविधान पीठ को भेजा गया था। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 के कारण पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। अब जल्द ही जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा, वहीं लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा।

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