वो चाइनीज मांझे वाली खबरें पढ़कर आज भी कांप जाती है रूह

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इस लेख को पढ़ते हुए मुझे बेशक आप कई संज्ञाए दे सकते हैं जो कि त्यौहारों पर ऐसी बातें करने वालों को अक्सर दी जाती है मगर फिर भी आप सुनना जरूर क्योंकि ये मेरा जादती नहीं बल्कि पूरे शहर का मामला है। मकर संक्रांति के दिनों का माहौल क्या और कैसा होता है ये तो बताने की जरूरत है नहीं मगर हां मैंने टीवी और फिल्मों पर वॉर बेस्ड फिल्में देखी है जिसमें हजारों सैनिकों का सिर किस कदर तलवार से धड़ से अलग होता चला जाता है वैसे ही इस चाइनीज मांझे की धार भी कुछ वैसी ही होती है और ये चाहे तो आदमी का पूरा सिर एक बार में तरबूज की तरह अलग कर सकता है।

 

गुलाबी शहर की सड़कों और आसमान को ये चाइनीज मांझा कई बार लाल कर चुका है मगर जो पिछले साल यहां हुआ वैसा ना तो कभी किसी ने सुना या देखा नहीं होगा।

पिछले साल जयपुर के मुरलीपुरा इलाके में एक बाइकसवार भी आपके इस प्यारे और एक झटके से पतंग काट देने वाले चाइनीज मांझे की चपेट में आया था। घटना के बारे में पूरी तरह बताएंगे तो हो सकता है सड़क पर निकलना ही छोड़ दो मगर इतना बता देते हैं कि उसका सिर पूरी तरह से धड़ से अलग होकर सड़क पर किसी हैलमेट जैसे पड़ा हुआ था।

मृतक का नाम पंकज जांगिड़ उर्फ रिंकू था जो जयपुर के शास्त्री नगर इलाके के विश्वकर्मा कॉलोनी में रहने वाला था। अगर हमारी बात पर यकीन ना हो तो इस पते पर पहुंच जाइएगा और इनके परिजनों खासकर छोटे छोटे मासूमों से मिलकर आईएगा।

तो खैर हर साल कलेक्टर साहब तो आदेश निकालते ही हैं कि चाइनीज मांझे का उपयोग ना करे और हम भी बस आपसे अपील ही कर सकते हैं। बाकि तो पंछियो की फिक्र पंंछी करे हम अपनी फिक्र तो कर ही सकते हैं।

हैप्पी मकर संक्रांति, पंतग उड़ाएं और परिंदों को भी उड़ने दें

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