देश में जहरीली शराब का कहर, ऐसे बनता है जिंदगी लील कर देने वाला यह सामान

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जहरीली शराब एक बार फिर कहर बनकर टूटी है। ताजा मामले के मुताबिक असम में जहरीली शराब पीने से 157 लोगों की मौत हो चुकी है। घटना के सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है और छापेमारी का दौर शुरू हो चुका है। देश में एक पखवाड़े के अंदर जहरीली शराब से मौत की यह दूसरी सबसे बड़ी घटना है। गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली शराब ने 70 लोगों की जिंदगी लील ली थी।

देश में हर साल जहरीली शराब से मरने वालों की खबरें हमारे सामने आती हैं, सरकार की शराबबंदी जैसी हजार योजनाएं भी ऐसी घटनाओं और इस तरह की शराब बनाने वालों पर लगाम लगाने में असफल है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मौत का यह सामान कैसे तैयार किया जाता है?

जहरीली शराब के बनने का प्रोसेस जानकर आप कांप उठेंगे क्योंकि इस कच्ची शराब को बनाने के लिए इस्तेमाल किय जाने वाले महुए की लहन को सड़ाया जाता है। इसको सड़ाने के लिए कुत्ते के मल और ऑक्सीटोसिन को काम में लिया जाता है। वहीं कुछ जगह इनकी जगह नौसादर और यूरिया भी डाला जाता है।

कैसे बनती है जहरीली शराब

शराब की भट्टियों में काम करने वाले कामगार प्रोफेशनल तकनीकों से अनजान रहते हैं इसलिए उनकी कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने की कोशिश शराब को जहरीला बना देती है। भट्टियों में शराब बनाते समय गुड़ और शीरा से लहन बनाया जाता है। लहन तैयार होने के बाद उसे मिट्टी में गाड़ दिया जाता है। इसको और अधिक नशीला बनाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन नामक केमिकल मिलाया जाता है और वो ही मौत की वजह बनता है।

वहीं कुछ जगह कच्ची शराब बनाने के लिए गुड़ में ईस्ट और यूरिया भी मिलाई जाती है। इसके अलावा लहन तैयार करने के लिए सड़े संतरे के छिलके और सड़े गले अंगूर भी काम में लिए जाते हैं।

मौत कैसे होती है ?

कच्ची शराब में मिलाया गया यूरिया और ऑक्सिटोसिन केमिकल रिएकश्न करके मिथाइल अल्कोहल बना लेते हैं जो जहर का काम करता है। मिथाइल अल्कोहल शरीर के अंदर जाते ही अंदरूनी अंगों को निष्क्रिय कर देता है जिसके कुछ समय बाद मौत हो जाती है।

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