बालाकोट के लोगों ने पूछा, एक कौवे की लाश मिली लेकिन बाकी 300 आतंकवादियों की लाशें कहां हैं?

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पाकिस्तान के बालाकोट, जाबा गांव के रहने वाले 62 साल के नूरन शाह, अभी भी हैरान हैं कि मंगलवार तड़के एक जोरदार विस्फोट से उनका मिट्टी और ईंट से बना घर क्यों हिल गया? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नूरन शाह, भारत की ओर से पाकिस्तान पर की गई हवाई कार्रवाई के अकेले पीड़ित हैं जिनकी अभी तक पुष्टि हो पाई है।

इसके अलावा बालाकोट का जाबा गांव वो ही जगह है जहां भारतीय वायुसेना के विमानों ने 28 फरवरी, 2019 को पैलोड छोड़ दिया था। नूरन कहते हैं “भारतीय वायुसेना ने हमला आतंकवादियों को मारने के लिए किया था। क्या किसी ने यहां आतंकवादी देखे हैं? यहां तो हम रहते हैं। क्या हम आतंकवादी हैं?”

भारत ने हवाई हमले के बाद दावा किया था कि भारतीय वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद के एक कैंप पर हमला किया है 200-300 आतंकवादियों को मार गिराया है। भारत के विदेश सचिव विजय गोखले का भी यही कहना था कि हमले में “बहुत बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी, ट्रेनर, कमांडर मारे गए हैं।

हालांकि, बीते गुरुवार को, एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी अपने इन दावों से पीछे हटते दिखाई दिए। मीडिया द्वारा फाइटर जेट को कितना नुकसान हुआ पूछे जाने पर एयर वाइस मार्शल आर.जी.के. कपूर ने कहा कि अभी इसके बारे में कोई डिटेल देने का उचित समय नहीं है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के पास हवाई हमले की कार्रवाई से पहले “काफी विश्वसनीय सबूत” थे।

वहीं भारत के हवाई हमले के बाद 300 मौतों के अनुमान को पाकिस्तान ने काफी पहले खारिज कर दिया। पाकिस्तान लगातार यह कहता रहा है कि ऑपरेशन एक विफलता थी जिसमें भारतीय जेट ने बिना किसी को नुकसान पहुंचाए बड़े पैमाने पर एक खाली पहाड़ी पर बमबारी की।

अभी यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि क्या दावों में इतनी विसंगतियां चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कोई मुसीबत खड़ा कर पाएंगी। मिशन के परिणामों के अधिक सबूत के लिए सरकार और सशस्त्र बलों पर दबाव बनाने के विपक्ष की ओर से भी अभी कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं।

बालाकोट के स्थानीय लोग कहते हैं कि “धमाके से एक बार के लिए सबकुछ हिल गया, कोई भी हताहत नहीं हुआ है और ना ही कोई भी मरा है। केवल कुछ देवदार के पेड़ टूट गए और एक कौवा भी मर गया।”

जाबा पहाड़ियों में बसा एक घना जंगली क्षेत्र है, जो सुंदर पर्यटकों के लिए कागन घाटी का रास्ता खोलता है। यह एबटाबाद से 60 किमी दूर है जहां आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने 2011 में मार गिराया था।

स्थानीय लोगों का कहना है कि 400 से 500 लोग यहां स्थानीय रूप से रहते हैं, मिट्टी के घरों से पहाड़ियां अटी पड़ी है। बेसिक हेल्थ यूनिट, जेबा में, निकटतम अस्पताल में रात की ड्यूटी पर तैनात मोहम्मद सद्दीक ने भी हमले में हताहतों के होने के सभी दावों को खारिज किया।

वहीं इलाके के लोगों का यह भी कहना है कि जैश-ए मोहम्मद की उपस्थिति यहां थी, वो यहां ट्रेनिंग कैंप के अलावा एक मदरसा चलाता था, जहां बम गिरे हैं वो वहां से एक किलोमीटर दूर है। वहीं इस्लामाबाद में मौजूद पश्चिमी राजनयिकों ने भी कहा कि उन्हें विश्वास नहीं था कि भारतीय वायु सेना ने किसी आतंकवादी कैंप को उड़ा दिया है।

(ये स्टोरी रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी के एक इंटरव्यू पर आधारित है।)

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