वो गायिका जिसको बॉलीवुड ने शायद भुला दिया लेकिन लोगों को दिलों में आज भी है!

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वेटरन सिंगर्स की जब भी बात आती है, किसका नाम सबसे पहले दिमाग में आता है। लता मंगेशकर? आशा भोसले? नूरजहां? ये अपने वक्त की बेहतरीन गायिका थीं। इस पर संदेह किसी भी सूरत में नहीं किया जा सकता। एक नाम और है मुबारक बेगम। सुना है? इतिहास शायद मुबारक बेगम को भूला दिया हो लेकिन  इंडस्ट्री में उनकी हैसियत उतनी ही है जितनी बाकियों की। आज ही के दिन मुबारक बेगम 18 जुलाई 2016 को उन्होंने आखिरी सांसें लीं।

मुबारक बेगम का जन्म राजस्थान के सुजानगढ़ में हुआ था लेकिन पली बढ़ी वो अहमदाबाद में। उनके पिता फल बेचा करते थे साथ ही तबला बजाने में भी माहिर थे। नूरजहाँ और सुरैया के गाने मुबारक बेगम देखा करतीं और उन्हीं के गीत गुनगुनाया करती थीं। उनका परिवार मुंबई आ गया इस उम्मीद में कि अगर वो गायिका बन जाती हैं तो परिवार की दशा सुधर जाएगी। किराना घराने में तालीम हासिल कर उन्होंने पहली बार ऑल इंडिया रेडियो के लिए ग़ज़लें गाईं।

1949 की बात है जब मुबारक बेगम ने फिल्म ‘आइए’ के लिए गाना गाया और 1950 और 60 के दशक के दौरान कई हिट फिल्मों में उनके गाने थे। ‘वो ना आएंगे पलट कर’ (देवदास), ‘बे मुरव्वत बेवफा’ (सुशीला), ‘हम हाल-ए-दिल सुनाएंगे’ (मधुमती) और ‘हमारी याद आएगी’ (हमारी याद आएगी) जैसे हिट गाने उन्होंने इंडस्ट्री को दिए।

उनके फैन्स के लिए उनका भजन ‘देवता तुम हो मेरा सहारा’ (डेरा) जो उन्होंने मोहम्मद रफी के साथ गाया था, आज भी एक कीर्तिमान बना हुआ है।

मुबारक बेगम ने आज से लगभग चार दशक पहले गाना छोड़ दिया था लेकिन वह कभी-कभार लाइव प्रोग्राम्स में परफोर्म करती थीं। लेकिन यह सब मुबारक बेगम के लिए मुश्किल होता जा रहा था। बेगम के पास पैसों की भारी कमी हो रही थी। खराब दिनों में अखबारों में कई बार उनकी गरीबी की खबरें नजर आती। उनके फैन्स और दोस्त बेगम को पैसे भेजते थे और राज्य सरकार ने उन्हें कलाकारों के कोटे से एक छोटा सा फ्लैट दिया था।

उनकी आवाज में एक लहज़ा था जो इंडस्ट्री में उनके बाद फिर कभी वापस नहीं आ सका। आजादी के बाद लता मंगेशकर ने इंडस्ट्री में नाम कमाया और धीरे धीरे बाकी गायक गायिकाएं साइड लाइन होते चले। नूरजहाँ पाकिस्तान चली गई और सुरैया और शमशाद बेगम ने गाना जारी रखा। लता मंगेशकर संगीतकारों और फैन्स की पसंदीदा के रूप में उभर रही थीं।

मुबारक बेगम की सुनहरी आवाज़ ने गायन को अलग ही दिशा दी थी। बेगम खुद कहती थीं कि फिल्म इंडस्ट्री में राजनीति और षड्यंत्रों के कारण वे इसके आगे हार गईं और इसलिए यहां उनका कोई काम नहीं रहा। उनके रिकॉर्ड किए गए गीतों को अचानक अलग रखा गया और दोबारा दूसरे सिंगर्स द्वारा गाया गया।

मुबारक धीरे-धीरे इंडस्ट्री से हटती चली गईं लेकिन उनके लाखों प्रशंसक हैं जो अब भी उनके गानों को गुनगुनाते हैं। फिल्म इंडस्ट्री ने भले ही मुबारक बेगम को वो जगह ना दी हो मगर उनके गानों ने जरूर लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई है। 18 जुलाई 2016 के दिन मुबारक बेगम ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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