महाराष्ट्र में बाघों पर शनि भारी, अब दो शावकों की ट्रेन से कुचलकर मौत

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महाराष्ट्र में बाघों पर शनि की भारी दृष्टि छाई हुई है। रोजाना यहां से बाघों को लेकर कोई ना कोई चिंतित कर देने वाली खबरें आ रही हैं। अब महाराष्ट्र के चंद्रपुर इलाके में बाघ के दो शावकों की ट्रेन से कुचलकर मौत हो गई। बताया गया है कि दोनों शावक 6 महीने के थे और यहां से गुजरने वाली गौंडिया—चंदा फोर्ट लाइन को पार करके जंगल की दूसरी ओर जा रहे होंगे। घटना बुधवार देर रात की रही होगी क्योंकि दोनों शावकों के शव गुरूवार सुबह ट्रैक पर दूसरी ट्रेन के ड्राइवर को पड़े दिखाई दिए थे जिसके बाद उसने आगे के स्टेशन मास्टर को जानकारी दी।

हादसा चिच्चपल्ली फॉरेस्ट रेंज से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक के पोल नंबर 1232 पर हुआ। घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और घटना की जांच शुरू की। बताया गया है कि इस रेंज में बाघिन और उसके 6 महीने के दो छोटे छोटे शावकों को विचरण करते हुए पहले भी देखा गया है। साल 2013 में भी इसी लाइन पर एक शावक की ट्रेन से कुचलकर मौत हो गई थी जबकि दूसरा बुरी तरह घायल हो गया था।

 

मां की तलाश शुरू

घटना के बाद वनकर्मियों ने दोनों शावकों की मां की तलाश शुरू कर दी है क्योंकि अमूमन बाघिन अपने बच्चों को कभी अकेला नहीं छोड़ती। अंदाजा लगाया जा रहा है कि दोनों बच्चे रात के अंधेरे में अपनी मां से बिछड़ गए होंगे और सीधे ट्रैक पर आ गए जिसके बाद उन्हें तेज गति से आती ट्रेन ने कुचल दिया। वनकर्मियों का मानना है कि उनकी मां ट्रैक के आसपास के इलाके में ही कहीं अपने बच्चों को तलाश रही होगी।

 

                      दूसरी शावक का ट्रैक पर कटा पड़ा हुआ कटा पांव

दोनों नन्ही शावक मादा थी जिनमें से एक तो ट्रेन के नीचे पूरी तरह से आ गई थी वहीं दूसरी का पांव कटा मिला है लिहाजा वो ट्रैक पार करने में कामयाब नहीं हो पाई होगी।

 

गौंडिया-चंदा फोर्ट ट्रैक पर बढ़ रहे ऐसे हादसे

ये कोई नई बात नहीं है कि इस ट्रैक किसी जंगली जीव की ट्रेन से कटकर मौत हुई हो। इससे पहले भी यहां ऐसे कई हादसे होते आए हैं। बताया जाता है कि इसी साल जून के महीने में तेंदुए की नागभिंड रेंज के पास ट्रेन से कुचलकर मौत हो गई थी वहीं साल 2017 में चिच्चपल्ली इलाके में ही मादा भालू और उसके दो शावक भी ट्रेन के नीचे आ गए थे।

 

वन विभाग ने रेलवे को कई बार जगंल से गुजरते वक्त ट्रेनों की स्पीड कम करने को लेकर खत लिखा है जिस पर रेलवे कोई ध्यान नहीं देता है। विद्युतीकरण होने के बाद से तो इस रूट पर ट्रेनें और भी बढ़ा दी गई है जिससे यहां के खूबसूरत जीवों पर भयंकर खतरा मंडरा रहा है।

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