लोकसभा में पल भर में शांत हो जाता है हंगामा, स्पीकर ओम बिड़ला का ये अनोखा अंदाज चर्चा में

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17वीं लोकसभा का पहला सत्र इन दिनों सांसदों की बहस या किसी बिल की वजह से मीडिया की सुर्खियों में नहीं, बल्कि नए स्पीकर ओम बिड़ला के सदन चलाने को लेकर हर तरफ चर्चा है। ओम बिड़ला सदन की कार्यवाही में हिन्दी पर काफी जोर देते हैं और पूरे दिन सदस्यों से बात और सभी नियमों का पालन हिंदी में ही करते है।

अब तक जहां सदन में वोटिंग के दौरान स्पीकर सदस्यों से अंग्रेजी के ‘आइस’ और ‘नोस’ बुलवाता था वहीं बिड़ला ‘हां’ और ‘ना’ का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही वह किसी भी सांसद को बुलाने के लिए ‘माननीय सदस्य’ शब्द का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

हंगामा कैसे शांत करवाते हैं बिड़ला

सदन की कार्यवाही के दौरान किसी विषय पर सांसदों के बीच हंगामा होना लाजमी है। ऐसे में बिड़ला हंगामा होने पर ‘आसन पैरों पर हैं’ बोलते हैं, जिसका मतलब होता है अब लोकसभा स्पीकर या सभापति अपने आसन (सीट) से खड़ा हो गया है तो सभी सदस्यों को अपनी सीट पर बैठना है।

लोकसभा हो या राज्यसभा, सदन में स्पीकर या सभापति सबसे बड़ा पद होता है। सदन की यह परंपरा रही है कि जब भी कोई सदस्य अपनी बात रख रहा है और ऐसे में सभापति अपनी सीट से खड़ा हो गया तो उस सदस्य को बात बीच में रोककर सीट पर बैठना होता है।

इसके अलावा सदन में स्पीकर एक साथ दो सदस्यों को बोलने की इजाजत नहीं देते हैं, क्योंकि सभी सदस्यों का भाषण और पूरी कार्यवाही लिखित में रिकॉर्ड होती है ऐसे में कोई दो लोग एक साथ नहीं बोल सकते हैं।

ब्रिटिश संसद जैसा हमारा संसद

यह हम सभी जानते हैं कि भारतीय संविधान का काफी हिस्सा ब्रिटेन के संविधान से लिया गया है। ब्रिटेन की संसद में भी स्पीकर की इजाजत के बिना कोई सदस्य अपनी बात नहीं रख सकता है, वहीं स्पीकर के अपनी सीट से खड़े होने पर सदस्य को रूक जाना होता है।

ओम बिड़ला ने स्पीकर का प्रभार संभालने के बाद से ही लोकसभा की कार्यवाही में कई अहम बदलाव किए हैं। वह नए सदस्यों को ज्यादा बोलने का मौका देते हैं। इसके अलावा शून्यकाल का समय भी बढ़ाया है।

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