जगन्नाथ यात्रा शुरू, जानिए क्यों 10 दिनों तक लाखों लोग खींचते हैं भगवान जगन्नाथ का रथ !

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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज यानि 4 जुलाई को तीर्थ नगरी पुरी में शुरू हो रही है। यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा से शुरू होगी। दोपहर 2 बजे पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव के रथ पर छेरा पहनरा कार्यक्रम के बाद रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू होगी।

हिंदु समाज के लिए सबसे पवित्र माने जाने उत्सव जगन्नाथ यात्रा काफी धार्मिक महत्व है। भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए हर साल महीनों पहले तैयारियां शुरू हो जाती है। सरकार सुरक्षा के लिए कड़े बंदोबस्त करती है। 10 दिनों तक चलने वाले इस उतस्व में दुनिया भर से लाखों लोग पहुंचते हैं।

हिंदु समाज की मान्यता के मुताबिक आषाढ़ शुक्ल महीने की द्वितीया को जगन्नाथपुरी से यह यात्रा शुरू होती है जो दशमी तक चलती है। रथयात्रा में 3 बड़े रथ सज-धज कर निकलते हैं। यात्रा में सबसे आगे श्री बलराम भगवान, उसके पीछे माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और आखिर में श्री जगन्नाथ जी का रथ होता है।

क्या है इस यात्रा का इतिहास

जगन्नाथ यात्रा को लेकर लोगों के बीच कई तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं। पौराणक कथाओं में कहा गया है कि एक दिन भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने पूरा नगर देखने के लिए प्रभु जगन्नाथ से कहा।

भगवान जगन्नाथ ने सुभद्रा की इच्छा सुनकर उन्हें रथ में बैठाकर पूरे नगर में घुमाया। उस दिन के बाद से हर साल जगन्नाथ रथयात्रा बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती है।

रथ यात्रा में रथों के अंदर भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा मूर्तियां रखी जाती है। यह यात्रा 10 दिनों तक चलती है।

यात्रा में जाने वाले रथों को कारीगर कई महीनों पहले बनाना शुरू करते हैं। रथ लकड़ी के बनाए जाते हैं जिनमें भगवान जग्गनाथ के रथ में 16 पहिए तो भाई बलराम के रथ में 14 और बहन सुभद्रा के रथ में 12 पहिए होते हैं। रथों को वहां आने वाले श्रद्धालु खींचकर चलाते हैं।

कहा जाता है कि जिस व्यक्ति ने भगवान जग्गनाथ का रथ एक बार खींच लिया उसे सौ यज्ञ के बराबर का पुण्य मिलता है। रथ यात्रा 10 दिनों तक चलती हुई प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर में पहुँचती है जहां भगवान आराम करते हैं।

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