भारत-पाक रिश्ते सबसे बुरे दौर में, इस तरह पैदा हुए ये हालात!

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भारत की ओर से मंगलवार को पाकिस्तान में एक हवाई हमला सामने आया जिसके बाद से ही दोनों देशों के बीच टेंशन लगातार बढ़ती ही जा रही है।

भारतीय अधिकारियों के अनुसार इस स्ट्राइक का लक्ष्य पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ग्रुप के ट्रेनिंग कैंप को नष्ट करना था जिसने 14 फरवरी को भारतीय नियंत्रित कश्मीर में बड़े पैमाने पर आत्मघाती बम विस्फोट करने की जिम्मेदारी ली थी।

पड़ोसियों की इस दुश्मनी का एक लंबा इतिहास रहा है। संघर्ष का सबसे बड़ा कारण चला आ रहा है कश्मीर, जो एक हिमालयी सीमा क्षेत्र है जिसकी स्थिति भारत को आजादी मिलने और पाकिस्तान के अलग होने के बाद से ही विवादों में रही है।

आजादी के बाद से दोनों देशों ने तीन युद्ध लड़े हैं: 1947, 1965 और 1971 में और साथ ही साथ 1999 में एक छोटा युद्ध सामने आया। पिछले दो दशकों में कई प्रयास हुए हैं ताकि इस मसले को सुलझाया जा सके।

अब 14 फरवरी के हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई के साथ एक बार फिर तनाव बढ़ रहा है। भारत के लिए कश्मीर हमला एक लंबे पैटर्न का हिस्सा है जिसमें पाकिस्तान की खुफिया सेवाओं ने पूरे भारत में घातक हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादी समूहों को बढ़ावा दिया है। इस बीच पाकिस्तान अपने से बड़े पड़ोसी को इस निगाह से देखता है कि वो कश्मीर पर कब्जा करना चाहता है और पाकिस्तान की स्थिरता को कमजोर करना चाहता है। पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करने से इनकार करता रहा है लेकिन यह भी कहता है कि यह कश्मीरी “फ्रीडम फाइटर्स” को राजनीतिक और नैतिक समर्थन देता है।

हम आपको भारत-पाक के बीच उतार चढ़ाव के हर घटनाक्रम को बताने जा रहे हैं।

1989: कश्मीर में उग्रवाद शुरू हुआ

कश्मीर को लेकर विवाद भारत और पाकिस्तान जितना ही पुराना है। भारत हिमालयी क्षेत्र के बड़े और अधिक विकसित हिस्से को नियंत्रित करता है जो मुस्लिम बहुल राज्य है। 1987 में भारतीय नियंत्रित कश्मीर में चुनाव हुए लेकिन कश्मीरी मुसलमानों ने विरोध किया कि चुनावों में धांधली हुई थी। दो साल बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के साथ इस क्षेत्र में एक सशस्त्र विद्रोह हुआ। भारतीय शासन के खिलाफ उग्रवाद बढ़ने लगा था। मानवाधिकार समूहों के अनुसार इस विरोध में 70,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

1999: एक बस यात्रा जिसने सुलह की उम्मीद जगाई

Nawaz-Sharif-and-his-Indian-counterpart-Atal-Bihari-Vajpayee
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1998 में भारत और पाकिस्तान दोनों ने परमाणु उपकरणों का परीक्षण किया जिससे दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन में एक मौलिक और बड़ा बदलाव आया। अगले साल भारतीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दोस्ती के एक इशारे के साथ सीमा के पार पाकिस्तान की ओर बस में ट्रेवल किया। उन्होंने और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाने का संकल्प लिया।

1999: कारगिल का युद्ध छिड़ गया

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साल खत्म होने से पहले ही सुलह की उम्मीदें मिट्टी में मिल गईं। कश्मीर के पहाड़ी कारगिल क्षेत्र में महीनों तक सीमा पार से गोलीबारी के बाद लड़ाई खतरनाक रूप से बढ़ गई जिसमें भारत में पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से घुसपैठ की खबरें आने लगीं और ऊंचाई वाली भारतीय चौकियों पर पाकिस्तानी घुसपैठ तेज हो गई। इस बार परमाणु युद्ध की काली छाया विवाद में आ गई। वाशिंगटन में शरीफ और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के बीच एक मीटिंग ने लड़ाई को समाप्त करने में मदद की और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर वापस आ गया लेकिन फिर भी आपसी दुश्मनी तेज रही।

2001: भारत की संसद पर हमला

delhi parliament attack
delhi parliament attack

दिसंबर में पांच आतंकवादियों ने नई दिल्ली के केंद्र में भारत की संसद पर हमला किया। हमलावरों को गोली मारी जाती इससे पहले ही 9 लोगों की मौत हो गई। हमले के पागलपन ने राजधानी के सबसे सुरक्षित क्षेत्र में भारतीय लोकतंत्र के प्रतीक को निशाना बनाया था और भारत बुरी तरह हिल गया था।

भारत ने पाकिस्तान स्थित दो आतंकवादी समूहों, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद पर हमले का आरोप लगाया और ऑपरेशन के पीछे पाकिस्तानी खुफिया सेवा का हाथ होने का भी आरोप लगाया। भारत ने पाकिस्तान के साथ सीमा पर हजारों सैनिकों को लगा दिया और उन्हें एक साल के लिए वहां रखा।

2004: नेताओं ने एक शांति पहल शुरू की

भारत की संसद पर हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध में बड़ा उतार चढ़ाव आया लेकिन 2003 के अंत तक माहौल थमने लगा। शीर्ष राजनयिक इस्लामाबाद और नई दिल्ली लौट आए और दोनों देशों के बीच परिवहन संपर्क फिर से बहाल हो गए। सबसे ज्यादा आशा जिस चीज से हुई वो थी वाजपेयी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर खुलकर बातचीत के लिए समझौता। तीन साल तक बातचीत जारी रही।

2008: आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया

mumbai attacks
mumbai attacks

नवंबर में 10 हमलावरों ने समुद्र के रास्ते भारत की वित्तीय राजधानी का रुख किया और एक रेलवे स्टेशन, दो लग्जरी होटल, एक फेमस कैफे और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया। तीन दिन तक ये तबाही चली और तब तक 160 से अधिक लोग मारे गए थे। भारत ने पाकिस्तान को एक डोजियर पेश किया और कहा कि हमले लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए थे। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ने हमलों में मदद की। पिछले साल लश्कर के पूर्व नेता पाकिस्तान के चुनावों में खड़े हुए थे।

2016: भारत ने “सर्जिकल स्ट्राइक” की

पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी समूह के आतंकवादियों के कश्मीर में भारतीय सेना के अड्डे पर हमला करने के बाद 19 सैनिकों को मार डाला। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब देने का वादा किया। भारत ने घोषणा की कि उसने पाकिस्तानी नियंत्रण वाले कश्मीर में “सर्जिकल स्ट्राइक” की और कमांडो नियंत्रण रेखा को पार कर गए थे। भारतीय विशेषज्ञों ने कहा कि पहले भी इसी तरह के छापे मारे गए थे लेकिन कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। पाकिस्तान ने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई।

2019: पुलवामा अटैक और भारत की जवाबी कार्यवाही

pulwama

14 फरवरी को एक आत्मघाती हमलावर ने एक विस्फोटक से लदी स्पोर्ट युटिलिटी वाहन को भारतीय अर्धसैनिक पुलिस के काफिले में घुसा दी जिसमें 40 लोग मारे गए। हमलावर एक स्थानीय कश्मीरी युवा था जो पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मुहम्मद में शामिल हो गया था। 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका को जैश-ए-मुहम्मद को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया था।

मोदी ने “हर आंसू का बदला लेने” की कसम खाई जिसके बाद भारत द्वारा एयरस्ट्राइक की गई। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि हमले में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सबूत मिलते हैं तो वो कार्रवाई करेगा और साथ ही यह भी कहा कि अगर भारत ने पाकिस्तानी ठिकानों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तो उसका जवाब भी देगा।

miraj 2000
miraj 2000

इसके बाद भारतीय लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा को पार किया और अपने टारगेट जहां पर जैश ए मुहम्मद का कैंप बताया जा रहा था वहां पर हवाई बमबारी की। इसके दोनों देशों के बीच टेंशन और भी बढ़ गई है। भारत ने अपनी इस स्ट्राइक को “नॉन मिलिट्री एक्शन” कहा क्योंकि इसमें पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को टारगेट नहीं किया गया था और कहा कि यह एक तरह से जैश-ए-मुहम्मद के खिलाफ प्रीएम्पटिव कार्यवाही थी।

भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि यह स्ट्राइक “क्रेडिबल इंटेलिजेंस” पर आधारित थी जिसमें एक ग्रुप एक और हमले की योजना बना रहा था और IAF ने आतंकवादियों की “बड़ी संख्या” को “समाप्त” कर दिया। पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता आसिफ गफूर ने कहा कि इस स्ट्राइक से कोई हताहत या नुकसान नहीं हुआ है और लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी विमानों से बचते हुए अपने “पेलोड जल्दबाजी में यहां गिरा दिए। भारत ने 1971 के बाद से पहले कभी फाइटर जेट Loc के पार नहीं भेजे थे। इसके बाद भी क्रिया प्रतिक्रिया जारी है और दोनों देशों के बीच टेंशन का माहौल बना हुआ है। लगातार अपडेट आ ही रहे हैं।

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