ख्यातनाम उपन्यासकार इलाचंद्र जोशी ने हिंदी की सभी विधाओं पर किया था लेखन कार्य

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आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार इलाचंद्र जोशी की आज 121वीं जयंती है। इलाचन्द्र बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने हिंदी की सभी विधाओं पर अपनी लेखनी की थी। इलाचंद्र को हिंदी में सबसे पहले मनोवैज्ञानिक उपन्यास लिखने का श्रेय दिया जाता है। जोशी को सबसे अधिक ख्याति भी मनोविश्लेषणात्मक उपन्यास लिखने से ही मिलीं। उनके उपन्यासों और कहानियों में पात्रों की मानसिक स्थिति का सजीव चित्रण मिलता है, जो किसी अन्य की कहानियों में मिलना दुर्लभ है। इस खास अवसर पर जानिए इलाचंद्र जोशी के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

इलाचंद्र जोशी का जीवन परिचय

उपन्यासकार इलाचंद्र जोशी का जन्म 13 दिसंबर, 1902 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था। उनके पिताजी का नाम चंद्रबल्लभ जोशी था, जो अल्मोड़ा में अंग्रेजी विषय के अध्यापक ​​थे। वहीं, उनकी माताजी का नाम लीलावती जोशी था। इलाचंद्र के पिताजी ने अपने अध्ययन के लिए अल्मोड़ा में बहुत बड़ा पुस्तकालय खुलवाया था, जिसमें उस समय के साहित्य के साथ अनेक विषयों की किताबें उपलब्ध थीं। इलाचन्द्र जोशी के व्यक्तित्व पर अल्मोड़ा के प्राकृतिक वातावरण का गहरा प्रभाव पड़ा।

बचपन से ही इलाचंद्र जोशी कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। उनके जीवन पर उनके माता-पिता के चरित्र का काफी प्रभाव पड़ा। उन्होंने बचपन में ही रामायण व महाभारत जैसे महाकाव्यों का अध्ययन किया, जिससे उनमें धार्मिक प्रवृति बढ़ीं। इलाचन्द्र जोशी बचपन से ही हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी, संस्कृत व जर्मन भाषा का ज्ञान अपने पुस्तकालय के माध्यम से प्राप्त करते रहे।

कई प्रसिद्ध रचनाओं का जोशी पर रहा प्रभाव

इलाचंद्र जोशी ने बचपन में ही कालिदास के संस्कृत नाटक ‘कुमार संभव’, ‘रघुवंशम’, ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ आदि का अध्ययन किया। इसके अलावा उन्होंने कीट्स, शैली, वर्ड्सवर्थ, दोस्तोवस्की, बंकिमचंद चटर्जी, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे ख्यातनाम लेखकों की रचनाओं का भी अध्ययन किया। जोशी के जीवन पर मनोवैज्ञानिक फ्रायड का बहुत प्रभाव रहा।

इलाचंद्र की प्रमुख साहित्यिक रचनाएं व सम्पादन कार्य

लेखक इलाचंद्र जोशी ने अपना पहला उपन्यास वर्ष 1927 में लिखा था। यह वर्ष 1929 में प्रकाशित हुआ। उन्होंने ‘सुधा’ नामक पत्रिका का संपादन भी किया। इलाचंद्र की वर्ष 1923 में बांग्ला के श्रेष्ठ उपन्यासकार शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय से मुलाकात हुईं। इसके बाद उनके साथ उनका घनिष्ठ आत्मीय संबंध स्थापित हो गया। उन्होंने ही युवा जोशी के अंदर छिपे कलाकार का बाहर लाने में मदद कीं। जोशी ने अपने जीवन में ‘कोलकाता समाचार’, ‘चांद’, ‘सम्मेलन पत्रिका’, ‘संगम’, ‘धर्मयुद्ध’ और ‘साहित्यकार’ जैसी पत्रिकाओं का सम्पादन कार्य भी किया।

उपन्यास: लज्जा, संन्यासी, पर्दे की रानी, प्रेत और छाया, निर्वासित, मुक्तिपथ, सुबह के भूले, जिप्सी, जहाज का पंछी, भूत का भविष्य, ऋतुचक्र आदि।

कहानी: धूपरेखा, दीवाली और होली, रोमांटिक छाया, आहुति, खँडहर की आत्माएँ, डायरी के नीरस पृष्ठ, कटीले फूल लजीले कांटे।

समालोचना तथा निबन्ध : साहित्य सर्जना, विवेचना, विश्लेषण, साहित्य चिंतन, शरतचंद्र-व्यक्ति और कलाकार, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, देखा-परखा।

इलाचन्द्र को मिले सम्मान और पुरस्कार

इलाचंद्र जोशी को उनके जीवन में कई पुरस्कार और सम्मानों से नवाज़ा गया। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘ऋतुचक्र’ उपन्यास पर प्रेमचन्द पुरस्कार वर्ष 1969-70 में मिला। इलाचंद्र को ‘साहित्य वाचस्पति’ की उपाधि वर्ष 1979 में प्रदान की गईं।

नॉवेलिस्ट इलाचंद्र जोशी का निधन

उपन्यासकार इलाचंद्र जोशी का निधन 14 दिसंबर, 1982 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ।

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