गीतांजलि श्री की किताब ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ ने जीता बुकर पुरस्कार, अवॉर्ड जीतने वाली प​हली भारतीय महिला

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Writer-Geetanjali-Shree

उत्तर प्रदेश राज्य की गीतांजलि श्री अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं। उन्हें उनके एक उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए यह पुरस्कार जीता है। आपको बता दें कि ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब भी बन गई है। पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा ‘मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अवार्ड जीत सकती हूं।’ उल्लेखनीय है कि पुस्तक ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था।

हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी बुक

भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ पिछले महीने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया था। उल्लेखनीय है कि गीतांजलि श्री की यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी, जिसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल ने किया है। बुकर पुरस्कार समिति के जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य’ बताया था।

तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह लिख चुकी हैं गीतांजलि श्री

आपको जानकारी के लिए बता दें कि प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार जीतने वाली हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री मूल रूप से उत्तर प्रदेश राज्य के मैनपुरी की रहने वाली हैं। गीतांजलि श्री ने अब तक तीन उपन्यास और कई कथा संग्रहों का लेखन किया हैं। उनकी कृतियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। 64 वर्षीय गीतांजलि श्री फिलहाल दिल्ली में रहती हैं। वहीं, उनकी पुस्तक ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ की अनुवादक डेजी रॉकवेल एक अमेरिकी पेंटर व लेखिका हैं। रॉकवेल हिंदी और उर्दू की कई साहित्यिक कृतियों का अनुवाद कर चुकी हैं।

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