#10 Year Challenge : बहुत बदल गए हैं हम 10 सालों में, आखिर तक पढ़िए और गौर कीजिए

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हमें शुरू से ही यह सिखाया गया है कि भारत विविधताओं वाला देश है और इतनी विविधताएं जहां होंगी वहां बदलाव होना तो खैर सामान्य सी बात है। वहीं एक पुरानी कहावत भी है कि जितनी चीजें बदलती हैं, उतनी ही उनकी मौजूदगी बनी रहती हैं, अब हमारे लिए यह सही और गलत दोनों हो सकती है।

जैसे कि गिर वाला शेर अब मेक इन इंडिया का प्रतीक चिह्न बन गया है। खुद मोदीजी जो एक चायवाले (शायद) से लेकर प्रधानमंत्री तक और अब विवेक ओबेरॉय के रूप में बड़े पर्दे पर भी आ रहे हैं। भारत में रोज एक हैशटैग चलता है। लेकिन क्या वास्तव में जमीनी तौर पर चीजें बदल पाई हैं?

अब जब 10 ईयर चैलेंज ट्रेंड में हैं तो हम आपके लिए 10 ऐसी चीजें लेकर आएं हैं जो क्या वाकई किसी बदलाव के दौर से गुजरी है या नहीं, यह आप तय कीजिए।

पॉलिटिक्स-

10 साल पहले, देश के लोगों को  “कांग्रेस का हाथ, आपके साथ” का भरोसा दिया गया तो पांच साल बाद फिर, इसे ही दूसरी बार परोसा गया।

2014 में, यह “अब की बार मोदी सरकार” बन गया। और मोदी जी 56 इंच की छाती लिए पीएम बन गए। हर किसी ने माना कि मनमोहन सिंह की जगह वो एक अच्छे प्रधानमंत्री हैं।

मई 2014 में पद संभालने के बाद से नरेंद्र मोदी ने 90 से अधिक विदेशी यात्राएं की। उन्होंने फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों के ऑफिसों का दौरा किया है और कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भाषण दिया। उन्होंने दुनिया के नक्शे पर लगभग हर देश के नेताओं को गले लगाया।

जी हां, भारत की बात कर रहे हैं। लेकिन…लेकिन इसी दौरान हम 2018 में आई वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस लिस्ट में 30 पायदान की छलांग लगाकर 100वें स्थान पर पहुंच गए ।

अब 10 साल बाद, 2019 में, हमारे पास क्या है “अबकी बार फिर मोदी सरकार” !

सरकार-

10 साल पहले, मनमोहन सिंह यूपीए के दूसरे कार्यकाल के साथ प्रधान मंत्री के रूप में वापस आए। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन का दोबारा आना अपने आप में बड़ी बात थी।

10 साल बाद, यह एक बार फिर से चुनाव का समय है। राजनीतिक विश्लेषक सावधानीपूर्वक भाजपा के खिलाफ हवा मोड़ने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। बस सवाल यही है क्या NDA फिर सत्ता में आ पाएगी ? क्या नरेंद्र मोदी दूसरा कार्यकाल हासिल करने में सफल होंगे?

राजनीति की भाषा-

गंदी भाषा हमेशा से ही मुख्यधारा की मीडिया में छाई रही है। 10 साल पहले भी, मोदी को “मौत का सौदागर” कहा गया था लेकिन कम से कम शालीनता का पर्दा तो था ही।

10 साल बाद, हमारे पास “सूअर की बीमारी” (अमित शाह के “स्वाइन फ़्लू” होने पर एक कांग्रेसी नेता की टिप्पणी) तो वहीं दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगे। (बीजेपी कार्यकर्ताओं का पीछा करने और पिटाई करने की धमकी देने वाला बीएसपी नेता)।

यह ठीक है अगर ‘गाय हमारी माता है’ अगर एक राजनीतिक नारा बनाया जाए लेकिन उन लोगों को फिर लिंचिंग को सही ठहराने का कोई अधिकार नहीं है। मंदिर फिर से लाइमलाइट में आ चुका है। पर सबसे बड़ा सवाल विकास कहां गायब है?

विपक्ष ने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है। कुछ साल पहले गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किए जाने वाले व्यक्तियों में से एक होने के बाद भी मोदीजी ने चायवाले की इमेज बना कर ही रखी।

कॉलेज के छात्र और जो असहमतिपूर्ण विचार रखते हैं, उन्हें तो केवल पाकिस्तान में रहने योग्य समझा जाता है। आमिर और शाहरुख और अब नसीरुद्दीन रातोंरात देशद्रोही बन गए।

पॉलिसी सोशल मीडिया पर बताई जाने लगी है ?

10 साल पहले, जहां सरकार का कोई भी नीतिगत निर्णय प्रिंट या टीवी मीडिया के जरिए आमतौर पर दिखाय़ा जाता था। लेकिन 10 साल बाद अब हमारे बीच ट्विटर है। जो भी पीएम मोदी के बोलने का इंतजार करते हैं वो उनके ट्वीट का इंतजार करें।

#MeToo और उसके बाद-

10 साल पहले, महिलाओं के होंठों में जकड़न देखी जा सकती थी, वर्कप्लेस पर उत्पीड़न होने के बाद भी फुसफुसाकर रह जाती थी। लेकिन 10 साल बाद, #MeToo आंदोलन ने हमारे समाज को एक नई दिशा दी है। आज महिलाएं सोशल मीडिया पर ही सही पर अपने उत्पीड़न की सालों पुरानी भयावह दासतां बता रही है।

राष्ट्रवाद का ब्रांड भारत माता –

10 साल पहले, हम भारतीय टीम के क्रिकेट में जीतने पर जोश में आ जाते थे। लेकिन आज हमारी भारतीयता दिखाने के पैमाने एकदम से बदल गए हैं। आज आपको देशभक्ति की परीक्षा देनी होती है सिनेमाघरों में या विश्वविद्यालयों में हर जगह।

10 साल बाद, अब आप पर चिल्लाया जाता है कि अगर आप सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं होते हैं, तो आपकी देशभक्ति पर शक किया जाएगा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्रों को अदालतों में पेश किया जाता है, एक ट्वीट आज आपको राष्ट्र विरोधी कहलवा सकता है, आप क्या खाते हैं, आप किससे प्यार करते हैं, आप क्या सोचते हैं, यह सब भी इसके दायरे में हैं।

फेक न्यूज और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी–

10 साल पहले, हम में से किसी ने भी व्हाट्सएप के बारे में नहीं सुना था, लेकिन 10 साल बाद, हम इसके बिना नहीं रह सकते और व्हाट्सएप के साथ आई फेक न्यूज की बाढ़। व्हाट्सएप फॉरवर्ड और यहां तक कि ऑफिशियल ट्विटर हैंडल्स से भी राजनीतिक के सभी पक्षों की ओर से नियमित रूप से आपको झूठ और आधे-अधूरे तथ्य परोसे जा रहे हैं।

राष्ट्र के राज्य –

भारत में एक नया राज्य जुड़ा है – तेलंगाना। अब देश में 29 राज्य हो गए हैं और गिनती अभी भी जारी है।

10 साल पहले, कांग्रेस सत्ता में थी तो देश के मानचित्र का नक्शा कुछ ऐसा था आज जब 10 साल बाद, बीजेपी खड़ी है तो कुछ ऐसा दिखाई देता है। अब आने वाला लोकसभा चुनाव बताएगा कि आगे राजनीतिक मानचित्र किस रंग में होगा!

टेक्नोलॉजी –

10 साल पहले, स्मार्टफोन हमारी जिंदगी पर राज नहीं करते थे लेकिन दस साल बाद, यह कहना मुश्किल है। हमारा हर दिन स्मार्टफोन के अंदर है और मोदीजी हमें इससे बाहर देखने देना नहीं चाहते तभी तो चाहे वह आधार हो, आपका ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट, सब कुछ ऑनलाइन है। यह सब बहुत सुविधाजनक है चाहे कोई भी इसे हैक ही क्यों ना कर ले!

सिनेमा के रूप में भारत माँ –

10 साल पहले, ‘दिल्ली 6’, ‘लव आज कल’, ‘रॉकेट सिंह’ जैसी… स्क्रिप्ट्स में देशभक्ति की गंध नहीं थी। वहीं आज 10 साल बाद, स्वच्छ भारत मिशन पर ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’, ‘सर्जिकल स्ट्राइक पर उरी: सर्जिकल स्ट्राइक’ और अब कुछ दिनों में मोदीजी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में आपके निकटतम थिएटर में आएंगे। देशभक्ति अब 70 मिमी की स्क्रीन पर है और इसमें कोई डर्टी पिक्चर भी नहीं?

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