भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ में सहयोग करेगा फ्रांस, दोनों देशों के बीच हुआ करार

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France-India-Agreement

देश के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ को भेजने में फ्रांस अपने दोस्त भारत की मदद करेगा। इस मिशन के संबंध में दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने गुरुवार को एक करार पर दस्तखत किए। गौरतलब है कि भारत की साल 2022 में मानवयुक्त गगनयान अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। लेकिन अब कोरोना महामारी के कारण इस मिशन में और देरी हो सकती है। इंडिया-फ्रांस करार की घोषणा भारत यात्रा पर आए फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां इव ली द्रीयां (Jean-Yves Le Drian) के इसरो के मुख्यालय दौरे के दौरान की गई। इसरो ने फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ‘सेंटर नेशनल डी इट्यूड्स स्पेतियल्स’ (सीएनईएस) से ‘गगनयान’ मिशन में मदद करने और इस कार्य में इसके एकल यूरोपीय सहयोगी के रूप में सेवा देने को कहा है।

मिशन से जुड़ी टीमों को फ्रांस व जर्मनी में दिया जाएगा प्रशिक्षण

समझौते के तहत फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस भारत के ‘फ्लाइट फिजीशियन’ और सीएपीसीओएम मिशन नियंत्रण टीमों को सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण एप्लीकेशन्स के विकास के लिए फ्रांस में सीएडीएमओएस केंद्र में तथा अंतरिक्ष अभियानों के लिए सीएनईएस के ताउलेस अंतरिक्ष केंद्र में तथा जर्मनी के कोलोग्ने स्थित यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री केंद्र(ईएसी) में प्रशिक्षण देगी। करार के तहत सीएनईएस इस मिशन के दौरान वैज्ञानिक प्रयोग योजना के क्रियान्वयन, भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा फ्रांसीसी उपकरणों, उपभोज्य वस्तुओं और चिकित्सा उपकरणों का इस्तेमाल किए जाने जैसी चीजों में भी सहयोग करेगी।

जानकारी के लिए बता दें कि सीएनईएस द्वारा विकसित फ्रांसीसी उपकरण परीक्षणों में खरे उतर चुके हैं और ये अब भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र यानि आईएसएस में काम कर रहे हैं। अब ये भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के काम आएंगे। सीएनईएस फ्रांस निर्मित अग्निरोधी बैग भी भारत को उपलब्ध कराएगा जो उपकरणों को विकिरण से बचाएंगे। सीएनईएस ने करार के बाद कहा कि सहयोग को आगे और भी बढ़ाया जा सकता है।

भारत का ‘गगनयान मिशन’ क्या है?

मालूम हो कि भारत की ‘गगनयान’ मिशन के तहत साल 2022 में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में भारतीय भूमि से अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की एक योजना है। हालांकि, वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण इस मानवयुक्त मिशन में पहले ही काफी विलंब हो चुका है।

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