बजट की चर्चाएं जोरों पर, जानें देश के इतिहास में ये 5 बजट रहे खास चर्चा में

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वर्ष 2020-21 का आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। केंद्र में लगातार अपना दूसरा कार्यकाल संभाल रही मोदी सरकार—2 को यह दूसरा बजट होगा। जैसा कि हम जानते हैं कि बजट में सरकार की आगामी साल में सरकार की नीतियों और योजनाओं के बारे में जानकारी और खर्च का लेखा—जोखा होता है। इसके माध्यम से देश की अ​र्थव्यवस्था में सुधार और आम लोगों को राहत पहुंचाना है।

भारत की आजादी के बाद पहला बजट (Budget) वित्त मंत्री आर के षणमुखम चेट्‍टी ने 26 नवंबर, 1947 को पेश किया। गणतंत्र भारत का पहला बजट 28 फरवरी, 1950 को वित्त मंत्री जॉन मथाई ने पेश किया।

बजट पेश करने के दौरान सदन में काफी चर्चा की जाती है और कई बार यह बजट लोगों में भी चर्चा का विषय बना जाता है, तो आइए जानते हैं देश में अब तक पेश बजट कौनसे हैं जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहे—

वर्ष 1957 के बजट

तत्कालीन कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी ने 15 मई, 1957 को आम बजट पेश किया। उस समय यह बजट काफी चर्चा में रहा। इस बजट में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इसके तहत आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया गया। बजट में नॉन-कोर प्रोजेक्ट्स के लिए आवंटित बजट वापस ले लिया गया। निर्यात करने वालों की सुरक्षा के ​वास्ते ‘एक्सपोर्ट रिस्क इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन’ का गठन किया गया। इस बजट में एक्साइज ड्यूटी 400 फीसदी कर दी गई और वेल्थ टैक्स शुरू किया गया। आयकर में भी बढ़ोतरी की गई।

क्यों वर्ष 1973 के बजट को ‘द ब्लैक बजट’ कहते हैं

वर्ष 1973 के आम बजट 28 फरवरी को वित्त मंत्री यशवतंराव बी चव्हाण द्वारा पेश किया गया। इस बजट में राष्ट्रीयकरण पर जोर दिया गया और सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण के लिए 56 करोड़ रुपए का बजट रखा गया। वित्त वर्ष 1973-74 में बजट में अनुमानित घाटा 550 करोड़ रुपये रहा, लेकिन कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण करने से काफी व्यापक असर पड़ा। कोयेले पर सरकार का अधिकार होने से बाजार में कॉम्पिटिशन खत्म हो गया।

वर्ष 1987 का बजट

इस समय देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे और उन्होंने 28 फरवरी, 1987 को बजट पेश किया। इसमें न्यूनतम निगम कर लागू किया गया जिसे वर्तमान में MAT या मिनिमम अल्टरनेट टैक्स के नाम से जाना जाता है। इस टैक्स को इसलिए लगाया गया ताकि उन कंपनियों को कर सीमा के दायरे में लाया जाए जिनका मुनाफा काफी अधिक था और वो टैक्स देने से बचती थी। यह टैक्स आज भी सरकार की आय का बड़ा जरिया है।

वर्ष 1991 में उदारीकरण वाला बजट

देश में नरसिम्हा राव सरकार के दौरान वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के समय पेश किया गया वर्ष 1991 का बजट काफी चर्चा में रहा और उसने देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी। यह बजट भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण बजट में से एक है। 24 जुलाई, 1991 को पेश इस बजट में आयात-निर्यात नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए। आयात के लिए लाइसेंसिंग नीति में राहत दी गई और निर्यात को बढ़ावा देने के कई प्रावधान किए गए। इस बजट ने वास्तव में भारतीय उद्योगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के रास्ते खोल दिए।

‘ड्रीम बजट’ था वर्ष 1997 का बजट

वर्ष 1997 के तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 28 फरवरी को देश की संसद में बजट पेश किया था, जिसे ‘ड्रीम बजट’ भी कहा गया। इसके माध्यम से कंपनियों और जनता के लिए टैक्स प्रावधानों में बदलाव किए गए। इस बजट में वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (VDIS) पेश की गई, जिससे ब्लैक मनी को बाहर लाया जा सके। इसका व्यापक असर रहा। वर्ष 1997-98 में सरकार को पर्सनल इनकम टैक्स से 18,700 करोड़ रुपए की आय हुई। अप्रैल, 2010 से जनवरी 2011 के बीच यह आय 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गई। लोगों के हाथों में पैसा आया और डिमांड बढ़ने से औद्योगिक विकास हुआ।

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