कौन है पाकिस्तान जेल में कैद कुलभूषण जाधव जिनकी रिहाई पर आज इंटरनेशनल कोर्ट सुनाएगा फैसला !

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नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (ICJ) आज पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में जेल की सजा काट रहे भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की रिहाई पर फैसला सुनाएगा। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक देश के कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि आईसीजे कुलभूषण जाधव को रिहा करने के भारतीय आवेदन को ठुकरा सकता है।

इसी बीच आइए एक बार कुलभूषण जाधव का पूरा मामला यहां समझते हैं।

पाकिस्तान ने 3 मार्च 2016 को जाधव को बलूचिस्तान के मशकेल इलाके से गिरफ्तार करने का दावा किया था। दावा था कि कुलभूषण पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी कर रहे थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जाधव ने नवंबर 2003 में कथित तौर पर पुणे से हुसैन मुबारक पटेल के नाम से फर्जी पासपोर्ट हासिल किया था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि जाधव इस नकली नाम के तहत ईरान में काम कर रहे थे।

पाकिस्तान सशस्त्र बलों ने गिरफ्तारी के एक सप्ताह के भीतर जाधव का वीडियो जारी किया जिसमें वे आरोपों को कबूल कर रहे थे। वीडियो को भारत सरकार और कई विशेषज्ञों द्वारा ‘डोक्टर्ड’ पाया गया था।

वीडियो से पता चलता है कि जाधव ने कबूल किया कि उन्हें भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध को अस्थिर करने और जासूसी की योजना बनाने का काम सौंपा था।

पाकिस्तान में भारतीय दूतावास जाधव के लिए काफी समय से कांसुलर एक्सेस की कोशिश कर रहा था। हालांकि, पाकिस्तान ने जाधव की “अपराधिक गतिविधियों” में शामिल होने का हवाला देते हुए भारत द्वारा ऐसे लगभग 15 अनुरोधों का खंडन किया है।

जैसा कि जाधव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था उन्हें एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने एक गुप्त परीक्षण पर रखा था जिसमें उन्हें जासूसी के दो मामलों में दोषी पाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।

पाकिस्तान में जर्मन राजदूत गुंटर मुलैक ने कहा है कि जाधव को वास्तव में ईरान में तालिबान ने पकड़ा था और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को बेच दिया था।

जाधव 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल हुए। भारतीय नौसेना के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि जाधव 1991 से 1993 तक आईएनएस शिवाजी में थे। उन्होंने बाद में मरीन कमांडो फोर्स (एमसीएफ) का विकल्प चुना।

जाधव की मां अवंती जाधव नवी मुंबई के हाई पॉइंट सीएचएस में एक फ्लैट की मालिक हैं। कुलभूषण ने 2007 में फ्लैट को हुसैन मुबारक पटेल के रूप में किराए पर लिया था। वह महीने में दो-तीन बार फ्लैट पर जाते थे और 15-20 मिनट बाद बाहर आ जाते थे।

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